हजरत ख्वाजा हसन बसरी की दरगाह कहां  है_Dargah Hazrat Khwaja Hasan Basri Kahan hai 


अस्सलाम वालेकुम मेरे इस्लामी भाइयों और बहनों आज मैं आपको ऐसे इंफॉर्मेशन देने वाला हूं जिससे आप आप पढ़ कर बहुत खुश हो गए ख्वाजा हसन बसरी का वाकिया ख्वाजा हसन बसरी की दरगाह कहां है हजरत ख्वाजा हसन बसरी किस से मोहब्बत करते हैं आइए जानते हैं आप इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें


आप की विलादत या पैदाइश 21 हिजरी (642 ई.) में मदीना मुनव्वरा में हुई

आप के वालिद का नाम यासर और वलीदा का नाम खैरा है

ये दोनो फ़ारसी (ईरानी)

हजरत ख्वाजा हसन अल बसरी वाकिया 

आप के वालिद को मयसान (इराक) में क़ैद करके मदीना लाया गया कुछ वक्त बाद उन के मालिक ज़ैद इब्न साबित अंसारी ने उन को आज़ाद किया और 12 हिजरी में हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदी-अल्लाहु तआला अन्हु के जमाने में उन्हो ने इस्लाम अपना मदीना में उम्मुल मोमिनीन हज़रते उम्मे सलमा रदी-अल्लाहु तआला अन्हा की कनीज़ खैरा से उन का निकाह हुआ आप की विलादत के बाद जब आप को अमीर उल मोहम्मद मिनीन हजरत उमर फारूक रदी-अल्लाहु ता'आला अन्हु के पास लाया गया तो उन्हो ने आप का हसीन चेहरा देख कर आप का नाम हसन राखा और दुआ की ऐसे अल्लाह आलिमे दीन बना और लोगो का महबूब बना


उम्मुल मोहम्मद मिनीन हज़रते उम्मे सलमा रदी-अल्लाहु ता'आला अन्हा के पास आप की तालीम शुरू हुई

14 साल की उमर में आप हज़रत अली रदिय-अल्लाहु तआला अन्हु के मुरीद हुए

36 हिजरी (657 ई.) में जंग ए सिफिन हुई हमारे बाद आप मदीना से बसरा चले गए

आप ने हज़रत हत्तान बिन अब्दुल्लाह अर-रिक़ाशी से क़ुरान की तालीम हासिल की और हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदी-अल्लाहु तआला अन्हु से तफ़सीर और तज़वीद का इल्म सिखा और इब्न सुरय्यी सुन तमीमी हाज़िर में रहिए

आप हदीस और फ़िक़्ह के भी माहिर हुए शुरू में आप ने फार्स (ईरान) के खिलाफ जंग में शिर्कत की

मगर बाद में आप सिरफ इबादत ए इलाही में और तालीम ए दीन करतमेने लग गए आप ने बहुत सारे आशाबा की सोच से फैज हासिल किया, जिन में जंग ए बद्र में समिल होने वाले 70 आशा भी समिल हैं हज़रत इमाम उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल्लाह अलैहि से आप के बहुत अच्छे ताआलुक़ात।


हजरत ख्वाजा हसन बसरी कौन थे 

शूरू में आप जवाहिरत की तिजारत का करोबार करते थे इस्तांबुल (बीजान्टियम) में बादशाह सीज़र के वज़ीर और अफसरो के साथ आप के तल्लुक़त एक बार आप तिजारत के सिलसिला में इस्तांबुल गए तो वहा के वज़ीरे आजम ने आप से कहा अगर आप इजाज़त दें तो आज मैं आप को मेरे साथ एक खास जग पर लेकर जाता हूं आप उसके साथ सेहरा (रजिस्तान) में एक जग पर गए आप ने देखा की वहा एक खैमा बनाया गया है जिस को रेशमी और सुनहरी रसियो से बंधन गया है

कुछ डेर बाद बादशाह का सिपाहीयो का लश्कर आया और हमें खैमे के चक्कर लगाये और कहने लगे, अगर हमारे बस में होता तो हम हमारी जान की कुर्बानी देकर तुम्हें बचा लेते मगर अफसो की ये मुमकिन नहीं था। हम अपने जान देकर भी तुम्हारे बचा नहीं सकते ||

ख्वाजा हसन अल-बसरी रहमतुल्लाही अलैही

हजरत ख्वाजा हसन अल बसरी वाकिया
इस के बाद तकीबन 400 आलिमो और फलसफियो का मजमा आया और हमें खैमे के चक्कर लगाय और कहने लगे, अगर हमारे बस में होता हम हमारे इल्म के इस्तमाल से तुम को बचा लेते हैं। मगर अफसो की ये मुमकिन नहीं था। हम अपने इल्म से भी तुम्हारे बचा नहीं सकते इस के बाद तकीबन 300 बुजुर्गो का मजमा आया और हमें खैमे के चक्कर लगाय और कहने लगे 'ऐ शहजादे अगर हमारे बस में होता हम अपनी सिफरिश से तुम्हें बचा लेते हैं मगर अफसो की ये मुमकिन नहीं था। हम अपनी सिफ़रिश से भी तुम्हारे बचा नहीं सकते ||

इस के बाद तकीबन 200 हसीन औरते अपने हाथो में सोना_चांदी और यहां जवाहरात से भरे तबाक लेकर आई और हमें खैमे के चक्कर लगे और कहने लगे 'ऐ शहजादे अगर हमारे बस में होता हम और हमारे है  मगर अफसो की ये मुमकिन नहीं था। हम हमारे हुस्न और इस मालो दौलत से भी तुम्हारे बचा नहीं सकते ||

फिर खुद बादशाह सीजर आया और हमें खैमे के चक्कर लगा और कहने लगा 'ऐ मेरी आंखों के नूर, मेरे दिल के चेन, मेरे सब से प्यारे बेटे, तेरे बाप के हाथों में क्या था आगर मैं कुछ भी कर सकता तो किसी भी तरह तुम्हें बचा लेता मगर तमाम आलिम_फलसफ़ी_मुशीर_सिपाही_खादिम_हसीन कनीज़_मालो दौलत_ ख़ज़ाना और तम आमना हर चीज़ बेकर रही मैं किसी भी तरह तुम्हे बचा नहीं सका दुआ है की अगले साल तक तुम्हें सुखों मिले ||

ये कहकर वो सब के साथ लौट आया

आप ने हमें वज़ीर से पुछा तो पता चला की बादशाह का जवान लड़का था जो बहुत ख़ूबसूरत, बहुत इल्म वाला, बहादुर और ताकतवर था। अचानक वो बीमर हुआ। कोई तबीब या हकीम हम की बीमारी का इलाज नहीं कर खातिर आखिर में वो दुनिया से गुजर गया और याहा है खैमे के अंदर दफ़न किया गया। तब से हर साल बादशाह इन सब को लेकर यहां आता है और सब इस तरह चक्कर लगाकर ये सब बातें कहते हैं।

क्या आप पर ऐसा असर हुआ की बसरा आने के बाद बाकी की जिंदगी में आप कभी किसी भी बात पर हंस नहीं पाए औ हमेश तकवा और परहेजगारी के साथ जिंदगी गुजरी और खुदा के साथ मौत, कबर और कयामत को याद करते रहे।

एक बार एक नौ-जवां को आप ने ज़ोर से हंसते हुए देखा तो आप ने फरमाया 'क्या तुम पल सिरात को पार कर लिया है हमें ने कहा 'नहीं आप ने कहा 'क्या तुम जाते हो की तुम जन्नत में जाओगे या जहां में हमें ने कहा 'नहीं आप ने फरमाया फिर तुम इस तरह क्यों हंसते हो हमें नौ-जवां पर है नसीहत का ऐसा असर हुआ की वो फिर कभी जोर से हंसा नहीं।

आप के पड़ोस में सिमून नाम का एक मजूसी रहता था जब वो सकरत में था तो आपके दोस्तो ने उस घर पर जाकर के लिए इल्तेजा की। आप हम मजूसी के घर पर गए तो देखा के वो बिस्तर में है और आग और सुनने की वजह से हमें का चेहरा काला हो गया है ||

आप ने हमसे फरमाया 'तुम ने पूरी जिंदगी आतिश पारस्ति की है। अब आखिरी वक्त में मुसलमान हो जाओ, अल्लाह तआला तुम पर रहम फरमा दे।

हमें ने कहा 'मुझे 3 बातो से तबाज होता है 1 लोग दुनिया को बुरा कहते हैं मगर पूरी जिंदगी इस्तेमाल करने में गुजारते हैं 2 लोग जाने हैं की एक दिन मौत आनी है और दुनिया से चले जाना है, मगर मौत के बाद के लिए कोई तय्यारी नहीं करते 3 लोग माने हैं की एक दिन अल्लाह की बरगाह में हाजिर होना है मगर उस रजा के लिए कोई अमल नहीं करता ||

आप ने फरमाया 'तुम जो कह रहे हो वो आम लोगो के लिए सही है। मगर मो'मिन अल्लाह तआला की वहदानियत जनता है और हम में से रज़ा के लिए उसे इबादत करता है ||

फिर आप ने फरमाया 'तुम 70 साल से आतिश की इबादत करते हो और मैंने कभी इस की इबादत नहीं की है अगर हम दोनो को दोज़ख में डाला जाए तो शा अल्लाह अल्लाह की रहमत से मुझे कोई नुक़सान नहीं होगा ये आग अल्लाह तआला की चुका की हुई है। हम दोनो मैं हाथ डालकर देखता हूं कि आग किस जलाती है। इस के बाद तुम अल्लाह तआला की क़ुदरत जान जाओगे ||


ये कहकर आप ने आग में अपना हाथ डाला तो आग ने आप को कुछ भी नुक्सान नहीं किया

ये देखर मजूसी को ताजुब हुआ और सही बात पता चली का इस्तेमाल करें। हमें ने कहा 'मैंने तो पूरी जिंदगी आतिश-परस्ती की है। अब तो चांद सांस बाकी है। मैं क्या करूआप ने फरमाया 'फोरन मुसलमान हो जाओ

उस ने कहा 'आप अगर मुझे लिखकर दे की अल्लाह तआला आजब नहीं दूंगा तो मैं ईमान लाउ आप ने इस्तेमाल एक कागज पर लिख कर दिया। फिर हमारे कहने पर बसरा के कुछ लोगो को गवाह बनार उन के भी दस्तखत करवाये हमें मजूसी ने रोते हुए तौबा की और ईमान लाया। और फिर आप से कहा 'जब मेरा इंतकाल हो जाए तो आप मुझे गुस्ल देकर तकफिन और तदफिन करना और यह कागज को मेरी कब्र में रख देना है आप ने हम की वसियत के मुताबिक हमें को ग़ुस्ल दिया और कफन देकर नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ाई और हम के लिए दुआ ए मग़फिरत की और दफ़न करते वक़्त हमें कागज़ को कबर में हम साथ रखा ||


फिर आप जब अपने घर आए और रात को सोने लगे तो आप को ख्याल आया की मैं खुद के बारे में नहीं जनता तो मैं हम आदमी के बारे में कैसे जमात दे सकता हूं रात को ख़्वाब में आप ने शिमोन को देखा वो नूरानी चेहरे के साथ सर पर ताज पहनने हुए और जन्नती लिबास पहनने वाले जन्नत में घूम रहा है आप ने पुछा अल्लाह ने तेरे साथ क्या मुआमाला किया का इस्तेमाल किया उस ने कहा अल्लाह ने आप की दुआ से मुझ पर रहम फरमाकर मुझे बख्श दिया हमारे ने आप की जमात की लाज राखी अब मुझे की जरूरत नहीं है इस लिए मैं इसे वापस दे रहा हूं ||


मैं उम्मीद करता हूं यह जानकारी आपको कैसी लगी अच्छी लगी हो तो दोस्तों में रिश्तेदारों में शेयर करना ना भूले हो कमेंट करना भी ना भूले दोस्तों लिखने में या टाइपिंग में गलती हो गई है तो माफ करना खुदा हाफिज



Post a Comment