कुर्बानी का जानवर कैसा होना चाहिए 2024_बकरा ईद पर कुर्बानी के नियम 2025
अस्सलाम वालेकुम मेरे प्यारे भाइयों और बहनों मैं आज आपको ऐसे इंफॉर्मेशन देने जा रहा हूं कुर्बानी का जानवर कैसा होना चाहिए बकरा ईद पर कुर्बानी करने के नियम कुर्बानी करते समय कौन सी दुआ पढ़नी चाहिए बकरा ईद की कुछ ऐसी फजीलत हैं आपको पता नहीं है आप जरूर इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
बकरा ईद पर भैंस की कुर्बानी कर सकते हैं
कुर्बानी का नियम_कुर्बानी के लिए जानवरों चुनते समय पर अलग-अलग हिस्से हैं। जहां बड़े जानवर (भैंस) पर सात हिस्से होते हैं तो वहीं बकरे जैसे छोटे जानवरों पर महज एक हिस्सा होता है। मतलब साफ है कि अगर कोई शख्स भैंस या ऊंट की कुर्बानी कराता है तो उसमें सात लोगों को शामिल किया जा सकता है।
दुंबा, बकरा और भेड़ जैसे छोटे जानवरों में सिर्फ एक आदमी के नाम से कुर्बानी दिया जा सकता है। जबकि गाय, बैल भैंस और ऊंट जैसे बड़े जानवरों में सात लोगों के नाम पर कुर्बानी दिया जा सकता है ।
बकरा ईद पर कुर्बानी कौन से जानवर की करनी चाहिए
बैल भैंस और ऊंट 7 लोगों की तरफ से कुर्बान किया जा सकता है सारे शरीक़ को का कुर्बानी की नियत करना जरूरी है अगर किसी ने सिर्फ गोश्त खाने के लिए हिस्सा लिया हो तो दूसरे हिस्सेदारी की भी कुर्बानी नहीं होगी बकरा साल का भैंस 2 साल की ऊंट 5 साल का होना जरूरी है
हदीस मे है कि आहजरत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से मालूम किया गया कि कुरबानी का जानवर ( Qurbani Ka Janwar ) कैसा हो ?
तो फ़रमाया – चार किस्म के जानवरो से बचना चाहिए ।
ऐसा लंगड़ा जानवर जिसका लंगड़ापन जाहिर हो
*ऐसा मेरीज जिसका मरज़ जाहिर हो ।
ऐसा काना जिसका कानापन जाहिर हाे
और ऐसा दुबला जिसकी
हहिडयाे में मेंग’ तक न रही हो ।
हजरत अली रजियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया कि आप ( सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ) ने हूक्म दिया कि कुरबानी के जानवर के आँख और कान वगैरा अच्छी तरह देख लिया करो । ऐसे जानवरो की कुरबानी मत करो . जिनका कान चिरा हो या कान में’ सूराख़ हो
भेड़ दुंबा और बकरा सिर्फ एक शख्स की तरफ से कुर्बान किया जा सकता है बैल भैंस और ऊंट 7 लोगों की तरफ से कुर्बान किया जा सकता है
सारे शरीक़ को का कुर्बानी की नियत करना जरूरी है अगर किसी ने सिर्फ गोश्त खाने के लिए हिस्सा लिया हो तो दूसरे हिस्सेदारी की भी कुर्बानी नहीं होगी बकरा
साल का भैंस 2 साल की ऊंट 5 साल का होना जरूरी है कम उम्र वाले की कुर्बानी दुरुस्त नहीं भेड़ और दुंबा 1 साल से कम का किया जा सकता है लेकिन शर्त यह है कि वह दिखने में साल भर का लगे
अगर बेचने वाला जानवर की उम्र बताता है तो उस पर एतबार करना जायज है लेकिन अलामते उसके खिलाफ ना हो
Qurbani Ka Janwar
अगर कान या दुम का एक तिहाई हिस्सा कट गया हो तो कुर्बानी दुरुस्त नहीं इसी तरह अगर एक तिहाई आंख की रोशनी जाती रही हो तब भी जायज नहीं
अगर दुबले जानवर की कुर्बानी कर दी तो दुरुस्त है मगर सवाब कम मिलेगी अगर इतने दांत गिर गए हो कि की मौजूद दांत उससे ज्यादा हो तो कुर्बानी दुरुस्त है वरना नहीं
अगर पैदाइशी तौर पर कान ही ना हो तो कुर्बानी जायज है किसी जानवर के उम्र पर पहुंचने के बाद सिंग़ ना निकले हो उसकी कुर्बानी जायज है अगर दोनों थोड़े-थोड़े टूट गए हो तब भी जायज है अगर जड़ से टूट जाए तो जायज नहीं
अगर किसी जानवर की दूम पैदाइशी तौर पर ना हो तो बाज ओल्मा कुर्बानी जायज करार देते हैं और बाज़ नहीं ! खस्सी की कुर्बानी करना जायज है
हामला की कुर्बानी नहीं करना चाहिए अगर कर दी तो दुरुस्त है बच्चा निकले तो जी वह भी ज़ब्ह कर दे अगर किसी शख्स ने कुर्बानी का जानवर खरीदा
उनमें कोई नुक्स पैदा हो गया और कुर्बानी देने वाला गरीब है तो कुर्बानी दे सकता है और अगर मालदार है तो दूसरा बकरा या जानवर खरीदना जरूरी है
अल्लाह हम सबको सही जानवर की कुर्बानी करने की तौफीक अता फरमाए
आमीन या रब्बुल आलमीन
कुर्बानी का जानवर दिखाइए
बकरा ईद पर कुर्बानी किसके नाम से करते हैं
बेशक अल्लाह दिलों के हाल जानता है और वह खूब समझता है कि बंदा जो कुर्बानी दे रहा है, उसके पीछे उसकी क्या नीयत है। जब बंदा अल्लाह का हुक्म मानकर महज अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी करेगा तो यकीनन वह अल्लाह की रजा हासिल करेगा लेकिन अगर कुर्बानी करने में दिखावा या तकब्बुर आ गया तो उसका सवाब जाता रहेगा कुर्बानी इज्जत के लिए नहीं की जाए, बल्कि इसे अल्लाह की इबादत समझकर किया जाए। अल्लाह हमें और आपको कहने से ज्यादा अमल की तौफीक दे
बकरा ईद पर कौन करें कुर्बानी
शरीयत के मुताबिक कुर्बानी हर उस औरत और मर्द के लिए वाजिब है जिसके पास 13 हजार रुपए या उसके बराबर है तो पास सोना और चांदी या तीनों चीजें है तो उस पर कुर्बानी वाजिब है। (रुपया, सोना और चांदी) मिलाकर भी 13 हजार रुपए है तो हदीस के हिसाब से उस पर कुर्बानी जायज है
कुर्बानी में हिस्सा कितने होते हैं
कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से करने की शरीयत में सलाह है। एक हिस्सा गरीबों में तकसीम किया जाए दूसरा हिस्सा अपने दोस्त अहबाब के लिए इस्तेमाल किया जाए और तीसरा हिस्सा अपने घर में इस्तेमाल किया जाए तीन हिस्से करना जरूरी नहीं है अगर खानदान बड़ा है तो उसमें दो हिस्से या ज्यादा भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं गरीबों में गोश्त तकसीम करना मुफीद है।
मैं उम्मीद करता हूं यह जानकारी आपको कैसी लगी अच्छी लगी हो तो दोस्तों में रिश्तेदारों में शेयर करना ना भूले आपको कुर्बानी के नियम और कुर्बानी की फजीलत है बताएं और दोस्तों कमेंट करना भी ना भूलें दोस्त लिखने में या टाइपिंग में गलती हो गई है तो माफ करना खुदा हाफिज
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