टॉयलेट या बाथरूम में दाखिल होने की दुआ_बैतूल खला जाने और निकलने की दुआ
अस्सलाम वालेकुम मेरे प्यारे दोस्तो और भाईयो बहनों बैतूल खला पेशाब पाखाना के लिए जाना एक इंसानी फितरत और ज़रूरत है अगर ये रुक जाए तो इन्सान बे चैन और परेशान हो जाए और कभी तो बीमार होने का भी खतरा हो जाता है, तो सबसे पहले तो हमे उस मालिक का शूकर अदा करना चाहिए के उसने हमें इस परेशानी से महफूज़ रखा तो दोस्तो क्या इसका भी कोई सही तरीका है के जिसको फॉलो करने से हमारा फायदा हो और सवाब भी मिले तो हा दोस्तो इसका भी एक तरीका हे, इस्लाम में बैतूल ख़ला (पेशाब पाखाना जाने का भी एक तरीका हे, जो आखरी पैगंबर मुहम्मद (स.अ ) ने बताया है, जिसे सुन्नत
तरीका कहा जाता है तो दोस्तो आईये जानते है
बैतूल खुला में दाखिल होने का सही तरीका क्या है
बैतूल ख़ला Toilet की सुन्नत तरीक़ा और दुआ जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है इसलिए के एक तो हमारे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत है और दूसरी सुन्नतें तरिकों में बहुत ख़ैर और भलाई है। एक रिवायत में है के अगर बैतूल ख़ला में बिना दुआ पढ़े जाते हैं तो ख़बीस जिन्न और शयातीन इंसान मर्द और औरत के शर्मगाह से खेलते हैं यानी मर्द ख़बीस इंसानी औरतों से ज़िना करते हैं और औरत ख़बीस मर्द के शर्मगाह से खेलती है।अल्लाह इससे हम सबकी हिफाज़त फरमाए
बैतूल ख़ला की सुन्नत तरीका क्या है
सर ढक कर जाना
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का ममुर था के जब भी बैतूल ख़ला जाते तो आप टोपी पहन कर जाते औरतों को खास कर सर ढकना जाना ज़रूरी है क्युकि अक्सर औरतें घर पर बिना सर पर ओढ़नी रखे रहतीं हैं और इसी हालत में बैतूल ख़ला भी जाती हैं इससे परहेज़ करें
जूता चप्पल पहन कर जाना
जूता चप्पल पहन कर जाने से बहुत से जरासीम Bacteria से बचा जा सकता है।
बैतूल ख़ला की दुआ
बैतूल ख़ला जाने से पहले ये दुआ पढ़ना जरूरी है।
In Arabic
اَللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنَ الْخُبْثِ وَالْخَبَائِث
तर्जुमा
ऐ अल्लाह मैं नर और मादा ख़बीस रूहो से तेरी पनाह चाहता हूँ
हिंदी
अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ुबिका मिनल खुबुसि वल खबाईस
बैतूल ख़ला में पहले बाया पैर दाखिल करना
बैतूल ख़ला की दुआ पढ़ने के बाद पहले बाया पैर दाखिल करना चाहिए।अच्छी चीज को दाहिने से और बुरी या गंदगी वाली चीजों को बाएं हाथों से करनी चाहिए।
क़िब्ला के तरफ ना बैठना
किब्ले की तरफ मुंह या पीठ कर के बैठना शख्त मना है और ये सख्त मकरूह है,जब घर बनवाए तो इसका जरूर खयाल रखे की बैतूल ख़ला क़िब्ला रुख न हो । गुसल खाने में पेशाब करना मकरूह है इस से ज़ेहन खराब होता है और तरह तरह के वस्वसे दिल में आते हैं
बैतूल ख़ला में बातें ना करना
बैतूल ख़ला में हरगिज़ बातें नहीं करनी चाहिए अगर कोई ज्यादा जरूरी हो तो अलग बात है।
आजकल का एक रिवाज़ आम हो गया है के बैतूल ख़ला में घंटों फोन पर लगे रहते हैं,या अख़बार पढ़ते है या फोन पे बातें करते हैं।इस से बचना चाहिए।बैतूल ख़ला में अल्लाह का ज़िक्र और क़ुरआन की आयत का पढ़ना मना है ।
क़ुरान की आयात गले या बाज़ू पे हो तो निकल ले फिर जाएं |
खड़े हो कर पेशाब ना करना
जब भी पेशाब या इस्तिंजा करें तो बैठ कर करें ऐसा ना करने से पेशाब की छीटे जिस्म पर पड़ती है जो के गुनाह है।
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया आजाबे क़ब्र सबसे ज्यादा पेशाब के छीटों से ना बचने की वजह से होती है
बाएं हाथ से शर्मगाह को धोना
शर्मगाह हो हमेशा बाएं हाथ से धोना या छुना चाहिए और शर्मगाह को न देखें, शर्मगाह को देखना मकरूह है
बैतूल ख़ला से दाहिना पैर बाहर निकालना
बैतूल ख़ला से जब भी बाहर निकले तो पहले दाहिना पैर बाहर निकालें और बाहर निकलने की दुआ पढ़े।
In Arabic
اَلْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَذْهَبَ عَنِّيِ الْأَذٰى وَعَافَانِيۡ
हिंदी
अल्हम्दु लिल लाहिल लज़ी अज़हबा अनिल अज़ा व अफानी
तर्जुमा
ऐ अल्लाह मैं तेरी बख्शिश चाहता हूँ तमाम तारीफे उस अल्लाह के लिए है जिसने मुझसे गन्दगी दूर की
बैतूल ख़ला से बाहर निकलते वक़्त सिर्फ (غُفْرَانَكَ) पढ़ कर भी आ सकते हैं,बाहर आने के बाद ऊपर वाली पूरी दुआ पढ़ें
दोनों हाथों का धोना सही तरीका
बैतूल ख़ला से बाहर निकाल कर दोनो हाथों को कलाई समेत साबुन या मिट्टी से अच्छी तरह धोएं
बैतूल ख़ला के मुतल्लिक़ चंद हदीसे
हजरत अबू अय्यूब अंसारी (रज़ि०) रिवायत करते हैं के रसूल्लललाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया
जब भी कजा ए हाजत की जगह जाओ तो क़िब्ले के तरफ मुंह ना करो और ना पीठ करो। सही मुस्लिम सही बुख़ारी
हजरत अबू हुरैरह (रज़ि०) से रिवायत है के रसूल्लललाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया
लानत का बायस बनने वाले दो कामों से बचो,सहाबा (रज़ि०) ने अर्ज़ किया ए अल्लाह के रसूल
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम लानत के दो काम कौन से हैं।आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया
जो लोगों के गुजरगाह(आने जाने का रास्ता) या यूं सायदार जगह में कजा ए हाजत के लिए बैठे (सही मुस्लिम)
हजरत अबू सईद खुदरी (रज़ि०) रवायत करते हैं के रसूल्लललाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया
दो इंसान इस तरह क़जा ए हाजत के लिए ना बैठे के उनकी शर्मगाह से कपड़े उतारे हुए हो और वो बातें कर रहे हों इसलिए के अल्लाह इस से नाराज़ होते हैं।
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