हजरत रुकनुद्दीन Tola की दरगाह कहां है Dargah Hazrat Ruknuddin Tola Mazar kahan hai

अस्सलाम वालेकुम मेरे इस्लामी भाइयों आज मैं आपको ऐसी जानकारी देने वाला हूं जिसके माध्यम से आप बहुत कुछ सीख सकते हो दुनिया में एक ऐसी भी दरगाह है जहां जिंदगी करामात दिखाई जाती है यह दरगाह कर्नाटक के 1 जिला गुलबर्गा नामक स्थित है इन्होंने अपनी जिंदगी के 40 साल के पहाड़ी इलाके में सिर्फ अल्लाह तबारक व ताला की इबादत में गुजारे थे

दोस्तों आज मैं एक ऐसी हस्ती के बारे में आपको बताने जा रहा हूं और हिस्ट्री जरूर पढ़ें जिनकी हिस्ट्री और करामात सुनकर या पढ़कर खुद मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे दोस्तों आज हम बताने वाले हैं रियासतें कर्नाटक 1 तारीख ही शहर गुलबर्गा शरीफ में आज का नया नाम कलबुर्गी है यहां पर आराम फरमा रहे हैं अल्लाह तबारक व ताला के हजरत रुकनुद्दीन टोला जो बगदाद से हिंदुस्तान तशरीफ लाए थे 

ताकि वह हिंदुस्तान में इस्लाम की और गहराई से इस्लाम को फैला सकें और लोगों को इस्लाम के बारे में जानकारी दे सकें

ऐसी कौन सी दरगाह है जो साल में एक तोला बढ़ जाती है 

यह दरगाह हजरत रुकनुद्दीन tola की है जो एक पहाड़ी इलाके में स्थित है जो कि कर्नाटक के गुलबर्गा नामक शहर में है आइए जानते हैं बगदाद से हिंदुस्तान से व्हिस्की तशरीफ लाए थे ताकि ए मोमिनो में इंसानियत पैदा कर सकें इनका मजा किस पहाड़ी पर मौजूद है आइए जानते हैं पूरी हिस्ट्री के बारे में |

हजरत रुकनुद्दीन Tola की दरगाह कहां है Dargah Hazrat Ruknuddin Tola Mazar kahan hai
हजरत की बहुत बड़ी करामात है

हजरत  रुकनुद्दीन tola Gulbarga Dargah History

हजरत  रुकनुद्दीन tola Gulbarga Dargah History

दोस्तों यह हजरत की बहुत बड़ी करामात है कि 40 साल तक एक ही जगह पर एक ही बुजु में हजरत ने जो है अल्लाह तबारक व ताला की इबादत में गुजारा दोस्तों 40 साल तक एक ही बुजु पर और एक ही जगह बैठने की वजह से हजरत की दोनों पैर आपस में मिल गए थे और दोनों पैर की गोश्त जो है मिलकर की दोनों पैर एक हो गए थे और हजरत का जिस्म जमीन से चिपक गया था और यहां तक कि 40 साल के अरसे तक हजरत के बदन पर मिट्टी चढ़ गई थी और हजरत ने अपनी आंखें भी बंद कर दी थी और इसी हालत में हजरत ने चिल्ला फरमाया यहां तक कि 1 दिन ऐसा हुआ कि हजरत पीरों के पीर रोशन जमीर शेख सैयद अब्दुल कादिर जिलानी गौस ई आजम भुताला बंदा नवाज गेसूदराज इशारा किया मेरे पोते हजरत जाए तो फिर हवा के पास पहुंची और जब हजरत रुकनुद्दीन टोला ने हीं हजरत बंदा नवाज की खुशबू को महसूस किया तब आपने अपनी आंखों को खोला देखा कि आगे हजरत बंदा नवाज खड़े हुए हैं तो आप हजरत बंदा नवाज के एहतराम के लिए खड़े हो गए अल्लाह हू अकबर जैसे आप खड़े हुए आपके जो दोनों पैर एक दूसरे से मिल गए थे वह हट जाते हैं और हजरत सैयद शाह रुकनुद्दीन टोला रहमतुल्लाअलेही के पैरों से खून बहने लगता है जब यह मंजर हजरत बंदा नवाज देखते हैं तो अपना हमामा शरीफ उतारते हैं और अपने हाथ में लेकर की हजरत सैयद शाहरुख ने दिल तोड़ा रहमतुल्ला ले की पैरों को जो खून लगा था जो खून बह रहा था उसे साफ करते हैं शरीफ उद्दीन तोला रानी की कांधे पर डालते हैं हवा का झोंका है और वह इमामा शरीफ हजरत की कांधे से नीचे गिरता है इमामा शरीफ में आग लग गई और जब वह इमामा शरीफ जलने लगा हजरत बंदा नवाज इस मंजर को देख रहे थे जब वह आग ठंडी हुई तो देखा कि वह कपड़ा जलने के बाद राख नहीं हुआ बल्कि वह कपड़ा जलकर एक तोला सोना बन  हजरत की मजार शरीफ हर साल एक तोला बड़ी होती है इसीलिए हजरत की दरगाह पर छत नहीं बनाई गई हैं हजरत की मजार शरीफ हर साल एक तोला बड़ी होती है इसीलिए हजरत की दरगाह पर छत नहीं बनाई गई की मजार शरीफ हर साल ऊंची होती रहेगी यह हजरत जिंदा करामत आज तक मौजूद हैं दोस्तों एक बात और है कि इस दरबार में ब्राह्मण काशी के लिए जा रहे थे जब रास्ते में हजरत को आपने इबादत करते हुए देखा तो आपके साथ ही बैठ गए 1 दिन 2 दिन 3 दिन 4 दिन यहां से के 5 दिन गुजर गए जब हजरत ने एक स्वामी जी को अपनी पर ही बैठा देखा तो आपने पूछा कि आप यहां पर क्यों बैठे हैं तो वह स्वामी जी कहने लगे कि मैं आप  की खिदमत में रहना चाहता हूं मुझे आप इजाजत दें हजरत ने आप को इजाजत दे दी तो अल्लाह हू अकबर राणा जी की मोहब्बत देखी 40 साल तक हजरत की खिदमत कि और हजरत की खिदमत करते रहें और रोजाना गांव में जाते बस्ती में बस्ती वाले जो भी खाने-पीने की चीजें हजरत के लिए देते वह आप ले करके आते और उन खाने पीने की चीजों में गोश्त मछली अंडा भी रहता था तो जब राणा जी के साथियों ने आपको देखा तो आपसे कहने लगे कि क्या तुम हमारा दिमाग खराब कर रहे हो एक ब्राह्मण होकर के गोश्त मछली अंडा नहीं खा रहे हो तो राणा जी ने मना कर दिया और कहा कि मैं तो सिर्फ आपकी खिदमत कर रहा हूं और 1 दिन हजरत ने राणा जी को गोश्त लेने के लिए दुकान पर भेजा जब राणा जी को गोश्त लेते हुए लोगों ने देखा तो सब लोगों ने प को घेर लिया और कहने लगे कि आज तो हम तुम्हें बिल्कुल नहीं छोड़ेंगे ब्राह्मण के गुरु होकर कि तुम एक गोश्त लेकर जा रहे हो यह बड़ी शर्मनाक बात है आप घबरा उठे और दिल ही दिल ने हजरत शाह रुकनुद्दीन टोला रहमतुल्ला अलेही को मदद के लिए पुकारा तो हर दिन तो वहीं से आपको हम पीछे हटो और इन लोगों से कहो कि इस रैली में गोश्त नहीं बल्कि गुलाब की फूल हैं तो राणा जी ने लोगों से कहा कि इस बैग में गोश्त नहीं बल्कि गुलाब के फूल है लोगों ने कहा कि हरगिज़ नहीं हमने तुम्हें तो गोश्त लेते हुए देखा है राणा जी ने कहा यह कैसे हो सकता है तो फिर राणा जी ने जब अपना बैग खोल करके लोगों को दिखाया तो लोग दंग रह गए 

 जिसमें गोश्त था उसमें गोश्त नहीं बल्कि गुलाब के फूल ही थे और फिर राणा जी रुकनुद्दीन रहमतुल्लाह अलेही की यह जिंदगी करामात देखकर दंग रह गए दौड़े दौड़े आए और हजरत रुकनुद्दीन रहमतुल्लाह अलेही के कदमों में गिर गए और कहने लगे कि मुझे कलमा पढ़ा कर मुसलमान कर दीजिए तो हजरत ने उन्हें कलमा पढ़ाया और मुसलमान बना दिया फिर राणा जी से नाम बदलकर आपने राणा जी का नाम हजरत मुख्यउद्दीन शाह कादरी रखा फरमाया के गोश्त की वजह से मेरे मुरीद को इतनी तकलीफ देखनी पड़ी तो आज के बाद ना तो कोई गोश्त यहां पर ला सकता है और ना ही खा कर के आ सकता है हजरत रुकनुद्दीन टोला हुजूर गौसे पाक की सातवीं पुष्ट के पोते हैं और आपका उर्स मुबारक हर साल सावन की 13 14 और 15 तारीख को बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है तो दोस्तों यह थी हजरत रुकनुद्दीन टोला रहमतुल्लाह अलेही की कुछ करामाती बातें जो हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताई 


दोस्तों और अजीज हो यह जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं अगर हमसे हजरत रुकनुद्दीन टोला रहमतुल्ला अलेही की शान में कोई टाइपिंग या लिखने मैं कोई गुस्ताखी हो गई हो तो हमें माफ कर दीजिएगा खुदा हाफिज 

 



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