कुर्बानी के वक्त कौन सी दुआ पढ़नी चाहिए_ कुर्बानी करने का इस्लामिक जाइज तरीका क्या है
अस्सलाम वालेकुम मेरे इस्लामी भाइयों आज मैं आपको कुर्बानी के वक्त कौन सी दुआ पढ़नी चाहिए और कुर्बानी करने का इस्लामिक तरीका क्या होगा आइए जानते हैं इस आर्टिकल के माध्यम से पूरी जानकारी देने वाला हूं बकरा ईद पर कुर्बानी क्यों करी जाती हैं कुर्बानी करने का सही तरीका क्या है बकरा ईद पर तीन दिन तक कुर्बानी क्यों करी जाती हैं 2030 में बकरा ईद कब है 2024 में बकरा ईद कब है 2025 में बकरा ईद कब है आइए जानते हैं


क़ुर्बानी की दुआ_Qurbani Ki Dua Hindi Meinइन्नी
वज्जहतु वजहि य लिल्लज़ी फ़ त रस्मावाति वल अर्दा हनीफँव व् मा अ न मिनल मुशरिकीन इन न सलाती व नुसुकी मह्या य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आलमीन * ला शरी क लहू व बि ज़ालि क उमिरतु व अ न मिनल मुस्लिमीन * अल्लाहुम्मा ल क व मिन क बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर
कह कर ज़िबह करे , फिर यह दुआ पढ़े
अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन्नी कमा तकब्बलता मिन ख़लीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम
अगर क़ुर्बानी Qurbani अपनी तरफ से हो तो मिन्नी और अगर दूसरे की तरफ से ज़ब्ह किया हो तो मिन्नी कीं जगह मिन फला कहें यानी उसका नाम ले ||
मतलब अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन यहाँ जिसकी तरफ से क़ुरबानी हो उसका नाम ले जैसे- मिन कबीर , मिन नईम वगैरह कमा तकब्बलता मिन ख़लीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ||
और अगर जानवर मुश्तरक शिरकत की कुर्बानी हो मतलब कुछ लोग मिलकर क़ुर्बानी कर रहे हो तो – ऊंट, भैंस वगेरह, तो फला मिन की जगह सब शरीको के नाम ले ||
जानवर को बाय पहलू पर इस तरह लेट आएं कि कि विलय को उसका मुंह और दही ना पाऊं उसके पहलू पर रख कर यह दुआ पढ़े




कुर्बानी Qurbani का जानवर अगर खुद ज़ब्ह ना कर सके तो किसी सुन्नी सहीहुल अकीदा ही से ज़ब्ह कराएं अगर किसी बद अकीदा और बेदीन वगेरह से क़ुर्बानी का जानवर ज़ब्ह कराया तो कुर्बानी नही होगी
ईसीं तरह हरगिज़ हरगिज़ किसी बद मजहब व बेदीन के साथ कुर्बानी में हिस्सा ना लें वरना आपकी कुर्बानी भी जाया (बेकार) हो जाएगी || और गुनाह का बोझ सर पर आएगा वो अलग है ख़याल रहे कि क़ुर्बानी का गोश्त वगेरह कुफ्फार व मुश्रिक़ीन को देना मना है
फ़तावा रज़विया, फतावा फेजुर्रसूल
इस्लामिक यानि हिजरी कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने धू-अल-हिज्जा की 10 से 12 तारीख को जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। जिसमें 3 दिनों का समय होता है। इन 3 दिनों में बक़रीद के नमाज़ के बाद कभी भी जानवरों की कुर्बानी दिया जा सकता है। इस इस्लामिक त्यौहार को ईद-उल-जुहा यानि बक़रीद कहते हैं।
दुनिया के जिस शहर या गांव में बक़रीद की नमाज़ होती है उन जगहों पर नमाज़ के बाद ही कुर्बानी दिया जा सकता है, तभी जायज़ होगा। अगर उस शहर या गांव में बक़रीद की नमाज़ नहीं होती हो तो उन जगहों पर सुबह से ही कुर्बानी दी जा सकती है।
अक्सर लोग पूछते हैं कि कुर्बानी के लिए जानवर का चुनाव कैसे करें। आपको बता दूं कि कुर्बानी के लिए जो भी जानवर खरीदे हैं। उसका तंदुरुस्त व बालिक होना जरूरी है।
जिस किसी जानवर का सींग जड़ से उखड़ चुका हो उसका कुर्बानी नहीं दिया जा सकता है। आंख या पैर से अपाहिज जानवरों का भी कुर्बानी सही नहीं माना जाता है।
कुर्बानी के जानवर खरीदने के बाद अगर उसमें कोई बड़ा ऐब निकल जाता हो तो मालदार आदमी के लिए इसकी कुर्बानी सही नहीं माना जाता है। जबकि गरीबों के लिए ठीक है।
कुर्बानी की जानवर खो जाए या मर जाए तो गरीब आदमी के लिए कुर्बानी कबूल हो जाती है। जबकि मालदार आदमी को दूसरा जानवर खरीदने का हिदायत किया जाता है। कुर्बानी का जानवर गुम गया हो लेकिन कुर्बानी के आखरी दिन भी मिल जाए तो उसका कुर्बानी करना लाज़मी है।
जानवरों की क़ुरबानी देने का सुन्नत तरीका क्या है
कुर्बानी के जानवरों को कुर्बानी से पहले खूब अच्छे से खिलाना और पिलाना चाहिए व उसकी हिफ़ाज़त भी करनी चाहिए। कुर्बानी से पहले जानवर को पानी पिलाना चाहिए।
अपने नाम की कुर्बानी अपने हाथ से करना चाहिए। कुर्बानी से मुराद है कि ज़बह करना। अगर आप नहीं कर सकते हैं तो आप दूसरों से करवा सकते हैं। कुर्बानी के समय जानवर के पास रहना अफ़जल व बेहतर माना जाता है।
कुर्बानी से पहले जानवर को अच्छी तरह से बांध दें और उसको किबला की तरफ मुंह करके लेटा दें। कुर्बानी के लिए पहले छोड़े को खूब तेज़ कर लें। ज़बह करने वाले भी अपने आप को किबला रुख कर लें और यह दुआ पढ़ें।
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बड़े जानवरों में सात हिस्सा होता है, अगर अलग-अलग लोगों ने हिस्सेदारी क्या हो तो बेहतर है कि गोश्त का बंटवारे में तराजू का इस्तेमाल किया जाए।
अपने हिस्से का गोश्त पाने के बाद, उसे तराजू से तीन भागों में बांटे। जिस में ध्यान रखें कि पहला हिस्सा आपके घर वालों के लिए है, दूसरा हिस्सा आपके दोस्तों के लिए है । जबकि तीसरा हिस्सा गरीबों के लिए है।
कुर्बानी का गोश्त बेचना हराम करार दिया गया है । यहां तक कहा गया है। अगर कोई कसाई को जब़ह करने के बदले मजदूरी में गोश्त मांगता हो तो यह सही नहीं माना गया है।
मैं उम्मीद करता हूं कि आपको कुर्बानी करने की दुआ और कुर्बानी करने का इस्लामिक तरीका आपको पसंद आया होगा तो दोस्तो रिश्तेदारों में शेयर करना ना भूले और कमेंट करना भी ना भूल है लिखने में या टाइपिंग में गलती हो गई है तो माफ करना खुदा हाफिज मिलते हैं नेक्स्ट पोस्ट में
कह कर ज़िबह करे , फिर यह दुआ पढ़े
अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन्नी कमा तकब्बलता मिन ख़लीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम
अगर क़ुर्बानी Qurbani अपनी तरफ से हो तो मिन्नी और अगर दूसरे की तरफ से ज़ब्ह किया हो तो मिन्नी कीं जगह मिन फला कहें यानी उसका नाम ले ||
मतलब अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन यहाँ जिसकी तरफ से क़ुरबानी हो उसका नाम ले जैसे- मिन कबीर , मिन नईम वगैरह कमा तकब्बलता मिन ख़लीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ||
और अगर जानवर मुश्तरक शिरकत की कुर्बानी हो मतलब कुछ लोग मिलकर क़ुर्बानी कर रहे हो तो – ऊंट, भैंस वगेरह, तो फला मिन की जगह सब शरीको के नाम ले ||
जानवर को बाय पहलू पर इस तरह लेट आएं कि कि विलय को उसका मुंह और दही ना पाऊं उसके पहलू पर रख कर यह दुआ पढ़े
कुर्बानी की दुआ 2024

कुर्बानी Qurbani का जानवर अगर खुद ज़ब्ह ना कर सके तो किसी सुन्नी सहीहुल अकीदा ही से ज़ब्ह कराएं अगर किसी बद अकीदा और बेदीन वगेरह से क़ुर्बानी का जानवर ज़ब्ह कराया तो कुर्बानी नही होगी
ईसीं तरह हरगिज़ हरगिज़ किसी बद मजहब व बेदीन के साथ कुर्बानी में हिस्सा ना लें वरना आपकी कुर्बानी भी जाया (बेकार) हो जाएगी || और गुनाह का बोझ सर पर आएगा वो अलग है ख़याल रहे कि क़ुर्बानी का गोश्त वगेरह कुफ्फार व मुश्रिक़ीन को देना मना है
फ़तावा रज़विया, फतावा फेजुर्रसूल
Qurbani कब दिया जाता है
अल्लाह के हुक्म पर जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून मदीना से शुरू हुआ था। जिसे पूरे दुनिया के मुसलमान मानते हैं।इस्लामिक यानि हिजरी कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने धू-अल-हिज्जा की 10 से 12 तारीख को जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। जिसमें 3 दिनों का समय होता है। इन 3 दिनों में बक़रीद के नमाज़ के बाद कभी भी जानवरों की कुर्बानी दिया जा सकता है। इस इस्लामिक त्यौहार को ईद-उल-जुहा यानि बक़रीद कहते हैं।
दुनिया के जिस शहर या गांव में बक़रीद की नमाज़ होती है उन जगहों पर नमाज़ के बाद ही कुर्बानी दिया जा सकता है, तभी जायज़ होगा। अगर उस शहर या गांव में बक़रीद की नमाज़ नहीं होती हो तो उन जगहों पर सुबह से ही कुर्बानी दी जा सकती है।
कुर्बानी किस के लिए वाज़िब है
कुर्बानी उन मुसलमान औरतों और मर्दों पर वाज़िब करार दिया गया है जिस पर ज़कात फर्ज़ है। जो ज्यादा मालदार है वह अपने पैगंबरों, माँ-बाप, दादा-दादी एवं एवं बच्चों के नाम पर भी दे सकता है।कुर्बानी का जानवर कैसा होना चाहिए
दुंबा, बकरा और भेड़ जैसे छोटे जानवरों में सिर्फ एक आदमी के नाम से कुर्बानी दिया जा सकता है। जबकि गाय, बैल भैंस और ऊंट जैसे बड़े जानवरों में सात लोगों के नाम पर कुर्बानी दिया जा सकता है।अक्सर लोग पूछते हैं कि कुर्बानी के लिए जानवर का चुनाव कैसे करें। आपको बता दूं कि कुर्बानी के लिए जो भी जानवर खरीदे हैं। उसका तंदुरुस्त व बालिक होना जरूरी है।
जिस किसी जानवर का सींग जड़ से उखड़ चुका हो उसका कुर्बानी नहीं दिया जा सकता है। आंख या पैर से अपाहिज जानवरों का भी कुर्बानी सही नहीं माना जाता है।
कुर्बानी के जानवर खरीदने के बाद अगर उसमें कोई बड़ा ऐब निकल जाता हो तो मालदार आदमी के लिए इसकी कुर्बानी सही नहीं माना जाता है। जबकि गरीबों के लिए ठीक है।
कुर्बानी की जानवर खो जाए या मर जाए तो गरीब आदमी के लिए कुर्बानी कबूल हो जाती है। जबकि मालदार आदमी को दूसरा जानवर खरीदने का हिदायत किया जाता है। कुर्बानी का जानवर गुम गया हो लेकिन कुर्बानी के आखरी दिन भी मिल जाए तो उसका कुर्बानी करना लाज़मी है।
जानवरों का क़ुरबानी करने के फायदे
कुर्बानी क्या है इस प्रश्न का उत्तर है हज़रत इब्राहिम की सुन्नत है। कुर्बानी देने के क्या फायदे हैं इस प्रश्न का उत्तर – कुर्बानी के जानवर के हर बाल के बदले में एक नेकी मिलता है।जानवरों की क़ुरबानी देने का सुन्नत तरीका क्या है
कुर्बानी के जानवरों को कुर्बानी से पहले खूब अच्छे से खिलाना और पिलाना चाहिए व उसकी हिफ़ाज़त भी करनी चाहिए। कुर्बानी से पहले जानवर को पानी पिलाना चाहिए।
अपने नाम की कुर्बानी अपने हाथ से करना चाहिए। कुर्बानी से मुराद है कि ज़बह करना। अगर आप नहीं कर सकते हैं तो आप दूसरों से करवा सकते हैं। कुर्बानी के समय जानवर के पास रहना अफ़जल व बेहतर माना जाता है।
कुर्बानी से पहले जानवर को अच्छी तरह से बांध दें और उसको किबला की तरफ मुंह करके लेटा दें। कुर्बानी के लिए पहले छोड़े को खूब तेज़ कर लें। ज़बह करने वाले भी अपने आप को किबला रुख कर लें और यह दुआ पढ़ें।
क़ुरबानी के बाद, गोश्त का तक्सीम कैसे करना चाहिए
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बड़े जानवरों में सात हिस्सा होता है, अगर अलग-अलग लोगों ने हिस्सेदारी क्या हो तो बेहतर है कि गोश्त का बंटवारे में तराजू का इस्तेमाल किया जाए।
अपने हिस्से का गोश्त पाने के बाद, उसे तराजू से तीन भागों में बांटे। जिस में ध्यान रखें कि पहला हिस्सा आपके घर वालों के लिए है, दूसरा हिस्सा आपके दोस्तों के लिए है । जबकि तीसरा हिस्सा गरीबों के लिए है।
कुर्बानी का गोश्त बेचना हराम करार दिया गया है । यहां तक कहा गया है। अगर कोई कसाई को जब़ह करने के बदले मजदूरी में गोश्त मांगता हो तो यह सही नहीं माना गया है।
मैं उम्मीद करता हूं कि आपको कुर्बानी करने की दुआ और कुर्बानी करने का इस्लामिक तरीका आपको पसंद आया होगा तो दोस्तो रिश्तेदारों में शेयर करना ना भूले और कमेंट करना भी ना भूल है लिखने में या टाइपिंग में गलती हो गई है तो माफ करना खुदा हाफिज मिलते हैं नेक्स्ट पोस्ट में
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