जानवर जिबाह करने की दुआ_कुर्बानी के जानवरों को जिबाह करने की दुआ
अस्सलाम वालेकुम मेरे इस्लामी भाइयों आज मैं आपको ऐसी जानकारी बताने वाला हूं कि आप सोच रहे होगे की कुर्बानी करते समय कौन सी दुआ पढ़नी चाहिए क्या जानवर को हम जिबाह करते हैं तो कौन सी दुआ को पढ़ा जाता है कुर्बानी के जानवर को जिबाह करने की दुआ पहले कुर्बानी किसके नाम से होती है आइए जानते हैं इस आर्टिकल के माध्यम से आप लोगों को पूरी जानकारी मिलने वाली है
जानवरों की क़ुरबानी देने का सुन्नत तरीका क्या है
कुर्बानी के जानवरों को कुर्बानी से पहले खूब अच्छे से खिलाना और पिलाना चाहिए व उसकी हिफ़ाज़त भी करनी चाहिए। कुर्बानी से पहले जानवर को पानी पिलाना चाहिए।
क़ुरबानी की दुआ व नीयत और तरीका_Qurbani ki Niyat
अपने नाम की कुर्बानी अपने हाथ से करना चाहिए। कुर्बानी से मुराद है कि ज़बह करना। अगर आप नहीं कर सकते हैं तो आप दूसरों से करवा सकते हैं। कुर्बानी के समय जानवर के पास रहना अफ़जल व बेहतर माना जाता है।
कुर्बानी से पहले जानवर को अच्छी तरह से बांध दें और उसको किबला की तरफ मुंह करके लेटा दें। कुर्बानी के लिए पहले छोड़े को खूब तेज़ कर लें। ज़बह करने वाले भी अपने आप को किबला रुख कर लें और यह दुआ पढ़ें।
Janwar ko zibah karne Ki Dua Hindi mein
इन्नी वज्जह्तु वज्हि-य लिल्लज़ी फ़-त-रस्समावाति वल अर-ज़ अला मिल्लति इब्राही- म हनीफ़ंव व मा अना मिनल मुश्रिकीन इन-न सलाती व नुसुकी व महया-य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आ ल मी न ला शरी-क लहू व बि ज़ालि-क उमिर्तु व अना मिनल मुस्लिमीन अल्लाहुम-म मिन-क व ल-क अन ० बिस्मिल्लाह वल्लाहू अकबर।
Qurbani Ki Dua in Arabic
إِنِّي وَجَّهْتُ وَجْهِيَ لِلَّذِي فَطَرَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ حَنِيفًا وَمَا أَنَا مِنَ الْمُشْرِكِينَ إِنَّ صَلَاتِي وَنُسُكِي وَمَحْيَايَ وَمَمَاتِي لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ لَا شَرِيكَ لَهُ وَبِذَلِكَ أُمِرْتُ وَأَنَا أَوَّلُ الْمُسْلِمِينَ، بِسْمِ الله الله أَكْبَرُ।
कुर्बानी करने की दुआ का तर्जुमा
मैंने उस ज़ात की तरफ़ अपना रुख मोड़ा जिसने आसमानों को और जमीनों को पैदा किया, इस हाल में में इब्राहीम में हनीफ़ के दीन पर हूं और मुश्रिको में से नहीं हूँ।
बेशक मेरी नमाज़ और मेरी इबादत और मेरा मरना और जीना सब अल्लाह के लिए है जो रब्बुल आलमीन है, जिसका कोई शरीक नहीं और मुझे इसी का हुक्म दिया गया है और मैं फरमाबरदारों में से हूं। ऐ अल्लाह, यह कुर्बानी तेरी तौफ़ीक़ से है और तेरे लिए है।
दुआ पढ़ने के बाद
दुआ के आखिर में अन है और अन के बाद उसका नाम लें, जिसके तरफ से कुर्बानी दिया जा रहा हो और अगर आप अपने तरफ से ज़िब्ह कर रहे हो तो अपना नाम लें । इसके बाद बिस्मिल्लाह वल्लाहू अकबर कह कर ज़िब्ह कर लें ।
कुर्बानी देने के बाद
क़ुरबानी की दुआ इन हिंदी
कुर्बानी के जानवर को ज़िब्ह करने के बाद यह दुआ पढ़ें लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि अगर आपने, अपने नाम से कुर्बानी दिया है तो अल्लाहुम्म तक़ब्बल के बाद मिन्नी पढ़ें। अगर आप दूसरों के लिए कुर्बानी का जानवर ज़बह किया है तो मिन्नी के जगह ‘मिन फलां’ पढ़ें। फलां यानी कुर्बानी देने वाले का नाम के वालिद का नाम भी शामिल करें।
अल्लाहुम्म तक़ब्बल मिन्नी (‘मिन फलां’) कमा तक़ब्बल्त मिन् ख़लीलिक इब्राहीम अ़लैहिस्सलाम व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम
क़ुरबानी के बाद_गोश्त का तक्सीम कैसे करना चाहिए
बड़े जानवरों में सात हिस्सा होता है, अगर अलग-अलग लोगों ने हिस्सेदारी क्या हो तो बेहतर है कि गोश्त का बंटवारे में तराजू का इस्तेमाल किया जाए।
अपने हिस्से का गोश्त पाने के बाद उसे तराजू से तीन भागों में बांटे। जिस में ध्यान रखें कि पहला हिस्सा आपके घर वालों के लिए है, दूसरा हिस्सा आपके दोस्तों के लिए है । जबकि तीसरा हिस्सा गरीबों के लिए है।
कुर्बानी का गोश्त बेचना हराम करार दिया गया है । यहां तक कहा गया है। अगर कोई कसाई को जब़ह करने के बदले मजदूरी में गोश्त मांगता हो तो यह सही नहीं माना गया है।
Qurbani कब दिया जाता है।
अल्लाह के हुक्म पर जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून मदीना से शुरू हुआ था। जिसे पूरे दुनिया के मुसलमान मानते हैं।
इस्लामिक यानि हिजरी कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने धू-अल-हिज्जा की 10 से 12 तारीख को जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। जिसमें 3 दिनों का समय होता है। इन 3 दिनों में बक़रीद के नमाज़ के बाद कभी भी जानवरों की कुर्बानी दिया जा सकता है। इस इस्लामिक त्यौहार को ईद-उल-जुहा यानि बक़रीद कहते हैं
दुनिया के जिस शहर या गांव में बक़रीद की नमाज़ होती है उन जगहों पर नमाज़ के बाद ही कुर्बानी दिया जा सकता है, तभी जायज़ होगा। अगर उस शहर या गांव में बक़रीद की नमाज़ नहीं होती हो तो उन जगहों पर सुबह से ही कुर्बानी दी जा सकती है।
कुर्बानी किस के लिए वाज़िब है
कुर्बानी उन मुसलमान औरतों और मर्दों पर वाज़िब करार दिया गया है जिस पर ज़कात फर्ज़ है। जो ज्यादा मालदार है वह अपने पैगंबरों, माँ-बाप, दादा-दादी एवं एवं बच्चों के नाम पर भी दे सकता है।
कुर्बानी का जानवर कैसा होना चाहिए
दुंबा, बकरा और भेड़ जैसे छोटे जानवरों में सिर्फ एक आदमी के नाम से कुर्बानी दिया जा सकता है। जबकि गाय, बैल भैंस और ऊंट जैसे बड़े जानवरों में सात लोगों के नाम पर कुर्बानी दिया जा सकता है।
अक्सर लोग पूछते हैं कि कुर्बानी के लिए जानवर का चुनाव कैसे करें। आपको बता दूं कि कुर्बानी के लिए जो भी जानवर खरीदे हैं। उसका तंदुरुस्त व बालिक होना जरूरी है।
जिस किसी जानवर का सींग जड़ से उखड़ चुका हो उसका कुर्बानी नहीं दिया जा सकता है। आंख या पैर से अपाहिज जानवरों का भी कुर्बानी सही नहीं माना जाता है।
कुर्बानी के जानवर खरीदने के बाद अगर उसमें कोई बड़ा ऐब निकल जाता हो तो मालदार आदमी के लिए इसकी कुर्बानी सही नहीं माना जाता है। जबकि गरीबों के लिए ठीक है।
कुर्बानी की जानवर खो जाए या मर जाए तो गरीब आदमी के लिए कुर्बानी कबूल हो जाती है। जबकि मालदार आदमी को दूसरा जानवर खरीदने का हिदायत किया जाता है। कुर्बानी का जानवर गुम गया हो लेकिन कुर्बानी के आखरी दिन भी मिल जाए तो उसका कुर्बानी करना लाज़मी है।
उम्मीद करता हूं कि आपको कुर्बानी करने की दुआ हिंदी में और कुर्बानी करने का इस्लामिक तरीका आपको पसंद आया होगा.
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