हजरत ईसा का जन्म कैसे हुआ था? Hazrat Isha ka janm kaise hua tha
अस्सलाम वालेकुम मेरे इस्लामी भाइयों हजरत ईसा का जन्म कैसे हुआ था । आइए जानते हैं आपको इस आर्टिकल में हजरत ईसा का जन्म कहां पर हुआ था आपको बताने की पूरी कोशिश की जाएगी आइए जानते हैं।
Isa (Alaihay Salam) ईसा
उन पर अल्लाह की शान्ती हो) को अल्लाह ने कुरआन मजीद में जो स्थान दिया है जो आदर-सम्मान दिया है, बिल्कुल वह इसके अधिकार तथा ह़कदार हैं और इस बात की पुष्टि बाइबल भी करता है परन्तु सेकड़ो बाइबल का वजूद बाइबल (Bible) के असुरक्षित होने पर प्रमाणित करता है। लोगों ने अपने स्वाद के लिए पवित्र बाइबल में विभिन्न कालों में परिवर्तन करते रहे। जिस के कारण बाइबल की संख्याँ बढ़ती गई। बाइबल के असुरक्षित होन की बात को ईसाई विद्धवान भी मानते है और पवित्र कुरआन के सुरक्षित होने को भी मानते हैं ।
ईसा (अलैहिस्सलाम) दाउद (अलैहिस्सलाम) के वंश में से हैं, और माता का नाम मर्यम और नाना का नाम इमरान है। अल्लाह तआला के कृपा और आदेश से जब मरयम (अलैहस्सलाम) को एक बहुत महान पुत्र जन्म लेने की शुभ खबर दिया तो उस समय मरयम (अलैहस्सलाम) बहुत दुखी और परेशान थीं, चिंतित थीं कि समाज के लोग उस पर आरोप लगाऐंगे, उस की बात पर कोई विश्वास नहीं करेगा, कि यह बच्चा बिना बाप के अल्लाह तआला के आदेश से जन्म लिया है। तो अल्लाह तआला ने चमत्कार करते हुए उस नीव जन्म शीशु को बोलने की क्षमता प्रदान की और अपने माता के निर्दोश और पवित्र होने की घोषणा और भविष्य में अल्लाह का नबी होने का ऐलान किया जैसा कि मरयम (अलैहस्सलाम) का किस्सा इस प्रकार कुरआन करीम में बयान हुआ है।
अल-कुरान जब अल्लाह के आदेश से फरिशता मानव रूप में मरयम (अलैहस्सलाम) के पास आये तो मरयम (अलैहस्सलाम) बहुत डर गईं और अल्लाह का वास्ता देने लगी तो फरिशते ने उत्तर दिया तुम डरो मत, हम मानव नहीँ, हम फरिशते है, अल्लाह के आदेश से तुम्हें एक लड़के की शुभ खबर देने आये हैं, उस पर मरयम (अलैहस्सलाम) बहुत आश्चर्य होई, जैसा कि पवित्र कुरआन में मरयम (अलैहस्सलाम) और फरिशते के बीच होने वाली बात चीत इस प्रकार व्यक्त किया है।
“और ऐ नबी! इस किताब में मरयम का हाल बयान करो, जब कि वह अपने लोगों से अलग हो कर पुर्व की ओर (इबादतगाह) एकान्तवासी हो गई थी, और परदा डाल कर उसने छिप बैठी थी, इस हालत में हमने उसके पास अपना एक (फरिशता) भेजा और वह उसके सामने एक पूरे इनसान के रुप में प्रकट हो गया।
– मरयम यकायक कहने लगी, कि यदि तू कोई ईश्वर से डरने वाला आदमी है, तो मैं तुझ से करूणामय ईश्वर की पनाह माँगती हूँ,
– उसने कहा, मैं तो तेरे रब्ब का भेजा हुआ हूँ, और इसलिए भेजा गया हूँ कि तुझे एक पवित्र लड़का दूँ।
– मरयम ने कहा, मुझे कैसे लड़का होगा जब कि मुझे किसी मर्द ने छुआ तक नहीं है, और मैं कोई बदकार औरत नहीं हूँ।
– फरिश्ते ने कहा, ऐसा ही होगा, तेरा रब कहता है कि ऐसा करना मेरे लिए बहुत आसान है और हम यह इस लिए करेंगे कि लड़के को लोगों के लिए एक निशानी बनाऐ और अपनी ओर से एक दयालुता। और यह काम होकर रहना है।
– मरयम को उस बच्चे का गर्भ रह गया, और वह उस गर्भ को लिए हुए एक दूर के स्थान पर चली गई।
– फिर प्रसव- पीड़ा ने उसे एक खजूर के पेड़ के नीचे पहुंचा दिया,
वह कहने लगी, क्या ही अच्छा होता कि मैं इससे पहले ही मर जाती, और मेरा नामो-निशान न रहता।
फरिश्ते ने पाँयती से उसको पुकार कहा गम न कर, तेरे रब ने तेरे निचे एक स्त्रोत बहा दिया है। - और तू तनिक इस पेड़ के तने को हिला, तेरे ऊपर रस भरी ताजा खजूरें टपक पड़ेंगी,- अतः तू खा और पी और अपनी आँखे ठण्डी कर, फिर अगर कोई आदमी तुझे दिखाई दे तो उससे कह दे, कि मैं ने करूणामय (अल्लाह) के लिए रोज़े की मन्नत मानी है। इस लिए आज मैं किसी से न बोलूँगी।
– फिर वह उस बच्चे को लिए हुए अपनी क़ौम में आई,
लोग कहने लगे, ऐ मरयम! यह तू ने बड़ा पाप कर डाला, ऐ हारून की बहन, न तेरा बाप कोई बुरा आदमी था और न तेरी माँ ही कोई बदकार औरत थीं,
– मरयम ने बच्चे की ओर इशारा कर दिया, लोगों ने कहा, हम इससे क्या बात करें जो अभी जन्म लिया हुआ बच्चा है,
– बच्चा बोल उठा, मैं अल्लाह का बन्दा हूँ, उसने मुझे किताब दी, और नबी बनाया, – और बरकतवाला किया जहाँ भी रहूँ, और नमाज़ और ज़कात की पाबन्दी का हुक्म दिया, जब तक मैं ज़िन्दा रहूँ,- और अपनी माँ का हक अदा करनेवाला बनाया, और मुझ को ज़ालिम और अत्याचारी नहीं बनाया,- और सलाम है मुझ पर जबकि मैं पैदा हुआ और जबकि मैं मरूँ और जबकि मैं ज़िन्दा कर के उठाया जाऊँ,- यह है मरयम का बेटा ईसा और यह है उस के बारे में वह सच्ची बात जिसमें लोग शक रक रहे हैं। – (सूराः मरयमः 16-34)
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