शबे बराअत में क्या करें । Shabe barat mein kya Karen 2022
नमाज़ पढ़ें, क़ुरआन शरीफ़ की तिलावत करें, अपने-अपने वालिदैन और मुसलमानों के लिए मग़फ़िरत की दुआ करें, किसी चीज़ पर फ़ातिहा कराएं, चाहे हलवा हो या कुछ और, क़ब्रिस्तान जाएं क्योंकि आक़ा करीम ﷺ इस रात ख़ुद क़ब्रिस्तान तशरीफ़ ले जाते थे।
शबे बराअत में क्या पढ़ा जाता है
हदीस शरीफ़ मौला अली رضی اللہ عنہ से रिवायत है, नबी ﷺ फ़रमाते हैं" जब शअ्बान की 15वीं रात आ जाए तो उस रात को क़याम करो (नमाज़ें पढ़ो) और दिन में रोज़ा रखो। अल्लाह तआ़ला ग़ुरूबे आफ़ताब से आसमानी दुनिया पर खास तजल्ली फ़रमाता है। कि है कोई बख़्शिश चाहने वाला कि उसे बख़्श दूं, है कोई रोज़ी तलब करने वाला कि उसे रोज़ी दूं, है कोई मुब्तला कि उसे आफ़ियत दूं, है कोई ऐसा, है कोई ऐसा, और यह उस वक़्त तक फ़रमाता है कि फ़ज्र शुरू हो जाए। इब्ने माजा
हदीस शरीफ़ उम्मुल मुअ्मिनीन सिद्दी़क़ा رضي الله تعالى عنها से रिवायत है, ह़ुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया कि" मेरे पास जिब्रईल عليه السلام आए और कहा यह शअ़्बान की 15वी़ रात है। इसमें अल्लाह तआ़ला जहन्नम से इतनों को आज़ाद फ़रमाता है जितने बनी कल्ब की बकरियों के बाल हैं। मगर काफ़िर, अदावत वाले, रिश्ता तोड़ने वाले, कपड़ा उलटने वाले, मॉं-बाप की नाफ़रमानी करने वाले, और शराब को बढ़ावा देने वाले की तरफ़ रहमत की नज़र नहीं फ़रमाता। बह्क़ी
शबे बराअत के नफ़्ल
तरकीब शबे बराअत मग़रिब की नमाज़ के बाद 6 रकाअ़त नमाज़ नफ़्ल 2-2 रकाअ़त करके पढ़ें। पहली दो रकअ़तों दराज़िए उम्र के लिए, दूसरी दो रकाअ़तें दफ़्अ बला के लिए, तीसरी दो रकाअ़तें हुसूले दौलत की नियत से पढ़ें, हर दो रकाअ़तों के बाद सूरह यासीन शरीफ़ एक बार या सूरह इख़्लास 21 बार और उसके बाद दुआ़ए निस्फ़ शअ़्बान पढ़ें।
तरकीब शअ़्बान कि 14 तारीख़, बाद नमाज़े मग़रिब दो रकाअ़त इस तरह पढ़ें कि दोनों रकाअ़तों में सूरह फ़ातिहा के बाद सूरा हश्र की तीन आख़िरी आयतें एक-एक बार, और सूरह इख़्लास तीन-तीन मर्तबा पढ़ें।
फ़ज़ीलत यह नमाज़ मग़फ़िरते गुनाह के लिए बहुत अफ़ज़ल है।
तरकीब 100 रकाअ़त नफ़्ल इस तरह पढ़े कि हर रकाअ़त में सूरह फतिहा के बाद दस-दस बार सूरह इख़लास पढ़े।
फ़ज़ीलत इस नमाज़ को स़लातुल ख़ैर कहते हैं। जो शख़्स यह नमाज़ पढ़ेगा अल्लाह तआ़ला उसकी तरफ़ 70 दफ़अ् निगाहे करम फ़रमाए गा और हर निगाह में उसकी 70 हाजतें पूरी फ़रमाए गा। ग़ुनयतुत् त़ालिबीन
तरकीब आक़ा करीम ﷺ ने फ़रमाया मेरा नियाज़ मंद उम्मती शबे बराअत में 10 रकाअ़त नफ़्ल इस तरह पढ़े कि हर रकाअ़त में सूरह फ़ातिहा के बाद सूरह इख़्लास 11-11 बार पढ़े।
फ़ज़ीलत इसके पढ़ने वाले के गुनाह माफ़ होंगे और उसकी उम्र में बरकत होगी। नुज़हतुल मजालिस
तरकीब शअ़्बान कि 15वीं रात को दो रकाअ़त इस तरह पढ़े कि हर रकाअ़त में सूरह फ़ातिहा के बाद आयतल कुर्सी एक बार, सूरह इख़्लास 15 बार। और सलाम फेरने के बाद दुरूद शरीफ़ 100 बार पढ़े। और रिज़्क़ की तरक़्क़ी की दुआ करें।
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