वज़ू करने का सही तरीका,vaju karne ka Sahi tarika, हिन्दी में।
निचे हमने वज़ू करने का सही तरीका है कोशिश की है आसान लफ्ज़ो में बताने की ! फिर भी टाइपिंग वगैरह में गलती हो जाए तो माफ करें ।
वज़ू करने का सही तरीका, हिन्दी में
अस्सलाम वालेकुम मेरे इस्लामी भाइयों वज़ू करने का सही तरीक़ा बताने वाला हूं। नमाज़ के लिए वज़ू शर्त है। वज़ू के बिना आप नमाज़ नहीं पढ़ सकते। अगर पढेंगे तो वो सही नहीं मानी जाएगी। वज़ू करने का सही तरीका यह है। की आप नमाज़ की लिए वज़ू का इरादा करे। और वज़ू शुरू करने से पहले बिस्मिल्लाह कहें. और इस तरह से वज़ू करे।
वज़ू क्यों करते समय क्या पढ़ना चाहिए
1. नियत करने और बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम पढ़ने के बाद
2. मिस्वाक को धोकर तीन बार ऊपर-नीचे के दाँतों में तीन नये पानी से इस्तेमाल की जाये
3. फिर दोनों गट्टों समेत हाथों पर मलें और उँगलियों का खिलाल करें।
4. फिर बाएं हाथ में लोटा वग़ैरह लेकर दाहिने हाथ पर उँगलियों की तरफ से शुरू करके गट्टे तक तीन बार पानी बहाया जाए।
5. फिर बाएं हाथ पर उँगलियों की तरफ से शुरू करके गट्टे तक तीन बार पानी बहाएं इसका ख़्याल रहे कि उँगलियों की घाइयां पानी बहने से न रह जाए।
6. फिर तीन बार कुल्ली करें इस तरह कि मुँह की तमाम जड़ों और दाँतों की सब खिड़कियों में पानी पहुंच जाये कि वज़ू में इस तरह कुल्ली करना सुन्नतें मुअक्किदा है और ग़ुस्ल में फ़र्ज़ है।
7. अगर रोज़ादार न हो तो हर कुल्ली गरगरह के साथ करें।
8. फिर नाक में अगर रींठ लगी हो तो बाएं हाथ से साफ़ करके सांस की मदद से तीन बार नर्म बासों तक पानी चढ़ाये ताक़ि कोई बाल धुलने से बाक़ी न रहे।
9. फिर चेहरा पर अच्छी तरह पानी मलकर इसको तीन बार इस तरह धोएं कि एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक, पेशानी के ऊपर कुछ सर के हिस्से से ठोड़ी के नीचे तक हर हिस्से पर पानी बह जाये अगर दाढ़ी हो तो इस तरह ख़िलाल करें कि उँगलियों को गर्दन की तरफ से दाख़िल करें और सामने निकाले और उसके बाल और खाल पर भी पानी बहाए।
10. फिर दोनों हाथों पर पानी मलकर पहले दाहिने हाथ पर भी सर नाख़ून से शुरू करके निस्फ़ बाज़ू तक तीन बार पानी बहायें।
11.फिर सर का मसह इस तरह करें कि दोनों हाथों के अंगूठे और कलिमे की उंगलियां छोड़कर बाक़ी तीन-तीन उँगलियों के सिरे मिलाकर पेशानी के बाल उगने की जगह पर अगर बाल हो वरना इसको खाल पर रखें और सर के ऊपरी हिस्से पर गुद्दी तक इस तरह ले जाएँ कि हथेलियाँ सर से जुदा करें।
12. फिर वहां से हथेलियों से सर के दोनों करवटों का मसह करते हुये पेशानी तक वापस लाएं ।
13. उसके बाद कलिमे की उँगलियों के पेट से कान के अंदरूनी हिस्सा का मसह करें और अंगूठे के पेट से कान की बैरूनी सतह का मसह करें और उन्ही उँगलियों की पुश्त से सिर्फ गर्दन का मसह करें।
14. फिर पानी से दोनों पांव मले और इस तरह ख़िलाल करें कि बायें हाथ की छंगुलियाँ से दाहिने पांव की छंगुलिया से शुरू करके अंगूठे पर ख़त्म करें और बायें पांव में अंगूठे से शुरू करके छंगुलिया पर ख़त्म करें और दाहिने बाएं पांव पर उँगलियों की तरफ से आधी पिंडली तक हर बाल और हर हिस्सा-ए-ख़ास पर तीन-तीन बार पानी बहाएं।
वजू में कितने फर्ज है।
1. मुँह धोना यानि माथे पर बाल निकलने की जगह से ठोरी के नीचे तक और एक कान के लौ से दूसरे कान के लौ तक पूरे चेहरा इस तरह धोना कि बाल बराबर भी कोई जगह सूखी न रह जाए, वरना वुज़ू नहीं होगा।
2. कोहनियों समेत दोनों हाथों को धोना।
3. चौथाई सिर का मसह करना यानि भीगा हुआ हाथ फेरना।
4. टख़नों समेत दोनों पाँवों का धोना।
वुज़ू की सुन्नतें
1. नियत करना ।
2. बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम पढ़ना ।
3. मिस्वाक करना ।
4. पहले दोनों हाथ गट्टों तक धोना ।
5. तीन बार कुल्ली करना इस तरह कि तमाम मुँह के अंदर हलक़ की जड़ तक पहुंच जाये ।
6. तीन मर्तबा नाक की तमाम नर्म जगह में पानी पहुँचाना ।
वुज़ू के मकरूहात
1. वज़ू के लिए नापाक जगह बैठना या नापाक जगह वज़ू का पानी गिराना ।
2. आज़ाए वज़ू से लोटे वगैरह में पानी टपकाना ।
3. मस्ज़िद के अन्दर वुज़ू करना ।
4. पानी में थूकना, नाक सिनिकना अगरचे दरिया या हौज़ हो ।
5. क़िब्ला की तरफ थूकना या कुल्ली करना ।
6. बे ज़रूरत दुनिया की बातें करना ।
7. ज़्यादा पानी खर्च करना ।
8. इतना कम पानी खर्च करना कि सुन्नत अदा न हो ।
9. चेहरा पर ज़ोर से पानी मरना ।
10.एक हाथ से मुँह धोना कि यह क़ाफ़िरों का तरीक़ा है ।
11.गले का मसह करना ।
12.बाएं हाथ से कुल्ली करना या नाक में पानी डालना ।
13.दाएं हाथ से नाक साफ़ करना ।
14.तीन नये पानियों से तीन बार सर का मसह करना ।
15.धूप के गर्म पानी से वज़ू करना कि वह बर्स (सफ़ेद दाग़) पैदा करता है।
16.होंठ या आँखे ज़ोर से बन्द कर लेना ।
17.किसी सुन्नत को छोड़ देना ।
वुज़ू को तोड़ने वाली चीज़ें
1. पाख़ाना, पेशाब, वदी, मज़ी, मनी, कीड़ा, पथरी, जो मर्द या औरत के आगे या पीछे के मक़ाम से निकले ।
2. मर्द या औरत के पीछे के मक़ाम से हवा का निकलना ।
3. ख़ून या पीप या पीले पानी का बदन के किसी भी हिस्से से निकलना या बहना, खाना या पानी या सफरा का मुँह में भरकर आना ।
4. इस तरह सो जाना कि दोनों सुरीन अपनी जगह अच्छी तरह न जमें हों ।
5. चित या पट या करवट पर लेट कर सो जाना ।
6. बेहोश, जुनून, ग़शी, और इतना नशा कि चलने में पांव लड़खड़ाए इससे भी वज़ू टूट जाता है।
7. बालिग़ शख्स का रुकूअ व सुजूद वाली नमाज़ में इतनी आवाज़ से हसना कि आस-पास वाले सुन लें ।
8. दांतो से इस क़दर खून निकलना कि इससे ख़ून का रंग सुर्ख़ हो गया ।
9. दुखती हुई आँख से पानी बहना क्योकि वह पानी(आंसू) नापाक है, इस तरह कान, नाक, पिस्तान वगैरह में दाना या नासूर या कोई मर्ज़ हो उनकी वजह से जो पानी बहे इससे भी वज़ू टूट जाता है।
औरत के आगे के मक़ाम से जो ख़ालिस रतूबत निकलती है, इससे वज़ू नहीं टूटता अगर यह रतूबत कपड़े में लग जाये तो कपड़ा पाक़ है।
आँख में दाना था और फूट कर आँख के अंदर ही फैल गया बाहर नहीं निकला या कान के अंदर दाना टुटा और उसका पानी सुरा से बहार नहीं निकला तो इन सूरतों में वज़ू बाक़ी है। बलगम की कय से वज़ू नहीं टूटता जितनी भी हो।
मुबाशिरते फ़ाहिशा यानि मर्द अपने आलह को तुंदी की हालत में औरत या मर्द की शर्मगाह से मिलाये या औरत औरत बाहम मिलाएं बशर्तें कि दरमियान में कुछ हाइल न हो इससे वज़ू टूट जाता है।
वजू का अर्थ यह है।
यह वुज़ू का तरीका है। इस तरीके से वज़ू करते वक्त हर हिस्सा कम से कम एक बार या ज़्यादा से ज़्यादा तीन बार धोया जा सकता है। लेकिन मसाह सिर्फ एक ही बार करना है। इस से ज़्यादा बार किसी अज़ाको धोने की इजाज़त नहीं है, क्योंकि वह पानी की बर्बादी मानी जाएगी और पानी की बर्बादी करने से अल्लाह के रसूल ने मना किया है।
एक जरूरी सूचना मैंने इंटरनेट पर सर्च करने के बाद आपको यह जानकारी दी है आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और आपको वज़ू करने का सही तरीका पसंद आया हैं तो अपने दोस्तों में शेयर करें खुदा हाफिज
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