रमजानओ में तरावीह कैसे पढ़े हिंदी में तरीके।
अस्सलामो अलैकुम भाइयो और बहनो । इस पोस्ट में हमने तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) का तरीका बताया है । आदमियों की तरावीह की नमाज़ का तरीका और औरतों की तरावीह की नमाज़ का तरीका ( aurat ki taraweeh ki namaz ka tarika ) दोनों बताये है।
निचे हमने तरावीह की नमाज़ का तरीका बताया है। कोशिश की है आसान लफ्ज़ो में बताने की ! फिर भी टाइपिंग वगैरह में गलती हो जाए तो माफ करे ।
तरावीह की नमाज़ में क्या-क्या पढ़ना है ? तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) में कौनसी सूरह पढ़नी है ? और तरावीह की नमाज़ की नियत ( taraweeh ki namaz ki niyat )क्या है ? सभी कुछ बताया है । इसलिए पोस्ट को निचे तक पढ़िए शायद आपके सारे कन्फूज़न दूर हो जाए ।
सबसे पहले एक बात और बताना चाहता हूँ की अधिकतर लोग तरावीह की नमाज़ को ( taraweeh ki namaz ) तराबी की नमाज़ ( tarabi ki namaz ) बोलते है ! लिहाज़ा तरावीह बोला करे ।
रमजान की नमाज़ हिन्दी में
रमज़ान मुबारक में तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) को बडी अहमियत हासिल है । तरावीह की नमाज़ सुन्नते मुवक़्क़ेदा है । अल्लाह के प्यारे रसूल ने कभी-कभी यह नमाज़ जमाअत के साथ अदा फरमाइ । और कभी अकेले घर में पढी ।
खुल्फ़ाए राशेदीन के ज़माने से तरावीह की 20 रकात जमाअत से अदा होती चली आ रही है । औंर इन रकातो में पूरे महीने में ‘एक कुरआन ख़त्म का एहतेमाम होता चला आ रहा है।
रमजान में तरावीह पढ़ने का तरीका ।
हालाकि के बदलते ज़माने के साथ हमारी सोच भी बदलती जा रही है ! और हमने इसे एक रस्म समझ लिया ।
जब कि यह एक इबादत है । अक्सर मस्जिदों से ख़त्मे क़ुरआन का इन्तेज़ाम किया जाता है।
लेकिन वह भी रस्म के तौर पर, क्यों कि तेज़ रफ्तार पढने वाले हाफिजों का तक़क़र्रुर होता है ।
जो जल्दी से 20 रकातें पूरी कर लेते है। यहीँ वजह है कि छोटी तरावीह के बाद नमाज़ीयो की सब से ज्यादा भीड़ उन मस्जिदों में पहुचती है। जहां तराबीह की नमाज़ जल्द ख़त्म हो जाती है ।
याद रहे। फटा-फट रुकू सजदे करके 20 रकाते पढ़ लेना ही काफी नहीं ! तरावीह का यहीँ मक़सद नहीँ । यह भी याद रहे कि तेज रफ्तारी से पढ़ लेने वालों की तिलावत तिलावत नहीं होती । वह तिलावत के आदाब, तौर तरीकों का ख़याल नहीं रख पाते ! इसलिए उन की नमाज़ नहीं होती ।
इस तरह तक़रीन 20-30 मिनट तक मेहनत करने के बावजूद हमारी कोशिश व मेंहनत बेकार चली जाती है । हम सिर्फ एक रस्म अदा कर लेते है ।बस ।
रमजान ए नमाज़ तरावीह का तरीका।
लोगो ने अपनी सहूलत के एतबार से तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) अदा करने के कई तरीके बना लिए । कुछ लोग तो अपने टाइम के हिसाब से अपने घर पर ही किसी हाफिज़ का इन्तेज़ाम कर के घर पर ही तरावीह की नमाज़ अदा करते है ।
इसी तरह लोगो की जरूरत व पसन्द के मुताबिक अलग अलग मस्जिदों में अलग अलग वक़्तों में नमाज़ होती है । कहीँ एक हफ्ते ने ख़त्म तो कही 10 दिन में तो कहीँ महीने ने दो ख़त्म ।
अफ़सोस , हम ने अपने आपको शरीअत के सांचे से ढालने के बजाए शरीअत को अपने ढांचे में ढालने की राह निकाल ली है। तो भला सवाब के हक़दार कैसे हो सकेंगे ।
खैर इबादत क़ुबूल करना नहीं करना अल्लाह के हाथ में है। लिहाज़ा कोशिश ये करे कि हम नेक नियति से इबादत करे। और मन में ऐसा नहीं लाये की वहाँ जल्दी तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) हो जाती है तो वही चले पहला हक़ पड़ोस की मस्जिद का होता है। वही पढ़े। बाकी नेक नियति से जिस भी मस्जिद में जाएंगे अल्लाह आपकी इबादत क़ुबूल करे ! आमीन_रब्बुल आलमीन ।
रमज़ान की रातों में इशा की नमाज़ के बाद 20 रकात तराबीह पढना सुन्नते मुवक़्क़ेदा है। जो लोग अपनी नादानी , लापर्वाही से इस नमाज़ को नहीं पढते वह गुनहगार और अल्लाह की अताओं से महरूम होते हैं ।
तरावीह या नवाज़ के तरीके ।
ईशा के वक़्त इस तरह से नमाज़ अदा करेंगे।
1.-ईशा की सुन्नत 4 रकअत
2.-ईशा की फ़र्ज़ 4 रकअत
3.-ईशा की सुन्नत 2 रकअत
4.-ईशा की नफ़्ल 2 रकअत
5.-तरावीह की सुन्नते मुवककेदा 20 रकअत (2X2) हर 4 रकअत के बाद तरावीह की तस्बीह
6.-वित्र वाजिब 3 रकअत ( 2 तदबीरों के )
7.-ईशा की नफ़्ल 2 रकअत
दो-दो रकात की नियत से 20 रकात नमाज़ मर्द जमाअत के साथ मस्जिद में अदा करते है ।और बहने (औरते ) घर पर अदा करती है।सबसे पहले मर्द की तरावीह की नमाज़ का तरीका बताते है। ( मस्जिद या घर पर ) उसके बाद औरतों की तरावीह की नमाज़। ( taraweeh ki namaz ) का तरीका बताएँगे।
रमजान के महीने में तरावीह पढ़ी जाती हैं मर्दों की नियत के तरीके।
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का , पीछे इस इमाम के मुहं मेरा कअबा शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर कह कर हाथ बाँध लेना है फिर सना पढ़ेंगे ! सना के अल्फाज़ इस तरह है।
* सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका *
इसके बाद * अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े ।
हर रकअत में इमाम साहब क़ुरान शरीफ़ की जो भी सूरह पढ़े उसे ध्यान लगाकर सुनना है। रुकू सजदा और बाकि सभी अरकान वही रहेंगे जो दूसरी नमाज़ो में रहते है।
इस तरह दो-दो रकअत करके 20 रकअत पढ़ना है।और जब भी चार रकअत पूरी हो जाए तरावीह की दुआ पढ़नी है ! तरावीह की दुआ निचे दी गयी है।
नोट – 1. मर्द अगर तराबीह की नमाज़ घर पर अकेले पढ़ रहे हो तो पीछे इमाम के नहीं बोलेंगे ।
2. मर्द तरावीह की नमाज़ पढ़ने मस्जिद जाता है। और किसी कारण ईशा की फ़र्ज़ नमाज़ की जमाअत छूट जाती है। इस कंडीशन में वो वित्र की नमाज़ अकेले ही पढ़ेगा । यानी इमाम साहब के पीछे जमाअत से नहीं पढ़ेगा ।
तराबीह की नमाज़ की नियत अकेले में।
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का , मुंह मेरा कअबा शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर कह कर हाथ बाँध लेना है।
अकेले में तराबीह की नमाज़ का तरीका taraweeh ki namaz ka tarika
हाथ बाँध लेने के बाद सना पढ़ेंगे ! सना के अल्फाज़ इस तरह है।
* सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका *
इसके बाद * अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े।
फिर सूरह फातिहा के बाद आप अलम त र से तरावीह की नमाज़ अदा कर सकते है। और अगर अलम त र की सूरह याद नहीं है तो आप चारो कुल पढ़कर भी नमाज़ अदा कर सकते है।
अब सवाल ये है की अलम त र क्या है ?
दरअसल क़ुरान शरीफ की आखिरी 10 सूरह को अलम त र कहने का रिवाज़ है ! इसका ख़ास कारन ये है। की क़ुरान शरीफ की 105 वी सूरह – अल-फ़ील का पहला लफ्ज़ अलम त र है।
और इसके बाद की सारी सूरह मिलाकर 10 सूरह होती है। और हर रकअत में एक सूरह पढ़ी जाए तो 20 रकअत तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) में 2 बार अलम त र मुकम्मल हो जाती है। इसीलिए इसे अलम त र कहा जाता है।
जिस तरह से सूरह फातिहा का पहला वर्ड – अल्हम्दु है। तो हम इस सूरह को अल्हम्दु शरीफ भी बोलते है। उसी तरह से सूरह फ़िल का पहला वर्ड अलम त र है । इसलिए हमें इसे अलम त र बोलते है।
असल बात ये है। की क़ुरआन शरीफ़ की आखिरी 10 सूरह का पहला लफ्ज़ ही अलम त र है। इसीलिए आम बोलचाल की भाषा में हम अलम त र से तरावीह की नमाज़ ( alam tra se taraweeh ki namaz ) कहते है।
ये सूरह सभी को याद होना चाहिए । हमने दस ही सूरह निचे बतायी है। कोशिश कीजिये सभी याद हो जाए नहीं तो आपको जो भी सूरह याद हो उससे तरावीह की नमाज़ तो हो ही जायेगी ।
मतलब साफ़ है। की हर रकअत में सूरह फातिहा के बाद वह सूरह पढ़ले जो आपको याद हो ।
जब दो -दो रकअत करके चार रकअत मुकम्मल तब आपको तरावीह की दुआ पढ़नी चाहिए। इस तरह 20 रकअत तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) में 5 मर्तबा तरावीह की तस्बीह ( taraweeh ki tasbih ) पढ़ी जायेगी। जिसे हम तरावीह की दुआ ( taraweeh ki dua ) कहते है।
अलम त र की 10 सूरह निचे दी गयी है इनमे से जो भी सूरह आपको याद हो वो सूरह फातिहा के बाद पढ़ सकते है ।
औरतो की तरावीह की नमाज़ का तरीका taraweeh ki namaz ka tarika
हमारी प्यारी बहनो को भी तरावीह की नमाज़ एहतेमाम घर पर करना चाहिए क्यूंकि जिस तरह तरावीह की नमाज़ आदमियों के लिए सुन्नते मुवक़्क़ेदा है। उसी तरह तरावीह की नमाज़ औरतों के लिए सुन्नते मुवक़्क़ेदा है। जो नमाज़े तरावीह अदा नहीं करेंगी वह गुनहगार होंगी।
औरतो की तराबीह की नमाज़ की नियत
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का , मुहं मेरा कअबा शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर हाथ बाँध लेना है।
औरतो की तराबीह की नमाज़ का तरीका taraweeh namaz for ladies
हाथ बाँध लेने के बाद सना पढ़ना है। सना के अल्फाज़ इस तरह है।
* सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका *
इसके बाद * अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े ।
बाकी नमाज़ वैसी ही पढ़ना है। जैसे और नमाज़ पढ़ी जाती है। नमाज़ में सूरह फातिहा के बाद जो सूरह पढ़ी जायेगी वो निचे दी गयी है। या जो भी सूरह आपको याद् हो आप वो भी पढ़ सकती हो।
फिर 2×2 की नियत से जब चार रकअत नमाज़ अदा हो जाए तब आपको तरावीह की तस्बीह पढ़नी चाहिए । इस तरह 20 रकअत तरावीह की नमाज़ में 5 मर्तबा तरावीह की तस्बीह पढ़ी जायेगी । जिसे हम तरावीह की दुआ भी कहते है।
चार रकात के बाद बैठ कर थोडी देर आराम किया जाता है। उस दौरान यह दुआ पडी जाती है।
अस्सलाम वालेकुम मेरे इस्लामी भाइयों यह तरीके आपको पसंद आए हैं तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें अपने दोस्तों में और अपने अजीत धारों में शेयर करें।
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