Namaz ka Tarika in Hindi  | नमाज़ पढ़ने का तरीका


नमाज़ का तरीक़ा रकत 

नमाज़ का तरीका (Namaz Ka Tarika) हर मोमिन मर्द औरत पर सीखना फ़र्ज़ हैं और इस्लाम में पांच फर्ज़ो में से एक फ़र्ज़ नमाज़ हैं इस लिए नमाज़ का तरीका (Namaz Padhne ka Tarika) सीखना जरुरी हैं

हुजूर सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की नमाज़ (Namaz) मेरी आँखों की ठंडक है

दुनिया में हर मुसलमान मर्द औरत पर कुरान में नमाज़ फ़र्ज़ की गयी है, नमाज़ को जो भी मुसलमान नहीं पढता है वो अल्लाह की नजर में सबसे निचे है। इसलिए सभी को 5 वक़्त की नमाज़ अदा करनी चाहिए। लेकिन बहुत से लोगों को नमाज़ पढ़ने का तरीका नहीं पता है इस पोस्ट में आपको नमाज़ का तरीका बताऊंगा वो भी हिंदी में।


नमाज़ क्या है (What is Namaz)

नमाज़ शब्द “सलात” (Salah) का उर्दू प्रयाय है और “सलात” अरबी शब्द है कुरान शरीफ में बार बार इस शब्द का इस्तेमाल हुआ है। नमाज़ हर वो आदमी जिसने कलमा पढ़ा है और उसकी उम्र 7 साल से ज्यादा है उसपर पर फ़र्ज़ है। अगर कोई भी मुसलमान नमाज़ को दुनिया के कामों के लिए छोड़ता है तो वो अल्लाह की नजर में गुनेहगार है।


Namaz Time
Namaz time


सभी मुसलमान मर्द औरत पर 5 वक़्त (टाइम) की नमाज़ फ़र्ज़ की गयी है जो की इस प्रकार है :-

फज़र (Fajr) :- यह नमाज़ सुबह (Morning) सूरज निकलने से पहले पढ़ी जाती है।
दुहर (Duhur) :- यह दोपहर (Afternoon) को अदा की जाती है।
असर (Asr) :- यह दोपहर (Afternoon) के बाद पढ़ी जाती है।
मगरिब (Maghrib) :- यह शाम (Evening) को सूरज के डूबने के वक़्त पढ़ी जाती है
ईशा (Isha) :- यह देर रात्रि (Night) को सोने से पहले पढ़ी जाती है

इन 5 नमाज़ो के लिए हर देश में अपने अपने Time Zone में Namaz Time निर्धारित किये गए है।


Namaz ka Tarika (नमाज़ का तरीका)

Namaz Padhne ka Tarika बहुत आसान है। नमाज़ या तो 2 रक’आत की होती है, या 3, या 4 रक’आत की। एक रक’आत में एक क़याम, एक रुकू और दो सजदे होते है। Namaj Padhne ka Tarika कुछ इस तरह है –

  1. नमाज़ के लिए क़िबला रुख होकर नमाज़ के इरादे के साथ अल्लाहु अकबर कह कर (तकबीर ) हाथ बांध लीजिए।
  2. हाथ बाँधने के बाद सना पढ़िए। आपको जो भी सना आता हो वो सना आप पढ़ सकते है।

सना के मशहूर अल्फाज़ इस तरह है “सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका”

  1. इसके बाद त’अव्वुज पढ़े। त’अव्वुज के अल्फाज़ यह है “अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम।”
  2. इसके बाद सुरह फातिहा पढ़े।
  3. सुरह फ़ातिहा के बाद कोई एक सूरा और पढ़े।
  4. इसके बाद अल्लाहु अकबर (तकबीर) कह कर रुकू में जायें।
  5. रुकू में जाने के बाद अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है, “सुबहान रब्बी अल अज़ीम”
  6. इसके बाद ‘समीअल्लाहु लिमन हमीदा’ कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये।
  7. खड़े होने के बाद ‘रब्बना व लकल हम्द , हम्दन कसीरन मुबारकन फिही’ जरुर कहें।
  8. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए।
  9. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है “सुबहान रब्बी अल आला”
  10. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठकर बैठे।
  11. फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए।
  12. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। या फिर वही कहें जो आम तौर पर सभी कहते हें, ‘सुबहान रब्बी अल आला’
  13. तशहुद में बैठ कर सबसे पहले अत्तहिय्यात पढ़िए।
  14. इसके बाद दरुदे इब्राहीम पढ़े।
  15. इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े। मतलब कोई भी ऐसी दुआ जो कुर’आनी सुरों से हट कर हो। वो दुआ कुर’आन में से ना हो। साफ साफ अल्फाज़ में आपको अपने लिए जो चाहिए वो मांग लीजिये। दुआ के अल्फाज़ मगर अरबी ही होने चाहिए।
  16. इस तरह से दो रक’अत नमाज़ पढ़ कर आप सलाम फेर सकते हैं। ‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहकर आप सीधे और उलटे जानिब सलाम फेरें।


Namaz ki Niyat ka Tarika

Namaj ka Tarika सीखना हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है. नमाज़ पढ़ने के लिए नियत सबसे अव्वल चीज है जो मुकम्मल होनी चाहिए। नमाज़ में सबसे पहले नियत की जाती है उसके बाद सना पढ़ी जाती है फिर सुर : फातिहा कोई आयत और फिर रुकू में चले जाते हैं। नियत बहुत ही आसान है क्योंकि यह सभी नमाज़ में एक जैसी होती है कुछ जयादा अंतर नहीं होता है।

तो चलिए जानते है 5 Waqt ki Namaz ki Niyat


Fajar ki Namaz ki Niyat

फज्र की दो रकअत सुन्नत

नियत की मैंने दो रकत नमाज़ फज्र की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

फज्र की दो रकअत फ़र्ज़

नियत की मैंने दो रकत नमाज़ फज्र की फज्र के अल्लाह तआला के वास्ते मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

फज़र में कुल 4 रकअत होती है.

Zohar ki Namaz ki Niyat

जोहर की चार रकात सुन्नत

नियत की मैंने चार रकत नमाज़ जुहर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

जोहर की चार रकात फर्ज

नियत की मैंने चार रकत नमाज़ जुहर की फज्र वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

जुहर की दो रकात सुन्नत

नियत की मैंने दो रकत नमाज़ जुहर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

जुहर की दो रकात नफिल

नियत की मैंने दो रकत नमाज़ जुहर की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर. 

जोहर में कुल 12 रकअत होती है.

Asar ki Namaz ki Niyat

असर की चार रकात सुन्नत

नियत की मैंने चार रकत नमाज़ असर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

असर की चार रकात फर्ज

नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ असर की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

असर में कुल 8 रकअत होती है.

Magrib ki Namaz ki Niyat

मगरिब की तीन रकात फर्ज

नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ मगरिब की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

मगरिब की दो रकअत सुन्नत

नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ मगरिब की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

मगरिब की दो रकात नफिल

नियत की मैंने दो रकत नमाज़ मगरिब की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर. 

मग़रिब में कुल 7 रकअत होती है.

Isha ki Namaz ki Niyat

ईशा की चार रकअत सुन्नत

नियत की मैंने चार रकत नमाज़ ईशा की सुन्नत रसूलपाक के फर्ज से पहले वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

ईशा की चार रकअत फर्ज

नियत की मैंने चार रकत नमाज़ ईशा की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

ईशा की दो रकअत सुन्नत

नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ ईशा की सुन्नत रसूलपाक के फर्ज के बाद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

ईशा की दो रकात नफिल

नियत की मैंने दो रकत नमाज़ ईशा की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर. 

वित्र की तीन रकअत वाजिब

नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ वित्र की वाजिब वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

मस्जिद में दाखिल होने की दो रकात सुन्नत

नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ मस्जिद में दाखिल होने की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

ईशा में कुल 17 रकअत होती है.


Jumma ki Namaz ki Niyat

जुमे की नमाज़ ( Jumma Ki Namaz ) में 14 रकअत होती है

  • 4 रकअत सुन्नत
  • 2 रकअत फ़र्ज़
  • 4 रकअत सुन्नत
  • 2 रकअत सुन्नत
  • 2 रकअत नफ़्ल

आम दिनों में हम ज़ुहर के वक़्त 4 फ़र्ज़ की नियत करते है. मगर जुमे के दिन 4 सुन्नत की नियत करेंगे! 2 रकअत फ़र्ज़ इमाम साहब के पीछे पढ़ेंगे! बाकी नमाज़ खुद पढ़ेंगे!

जुमे की चार रकअत सुन्नत

नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ जुमा से पहले सुन्नत रसूलपाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाह हुअक्बर

जुमे की दो रकअत फ़र्ज़

नियत की मैंने दो रकअत नमाज़े जुमा के फ़र्ज़ वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाह हुअक्बर

जुमे की चार रकअत सुन्नत

नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ जुमा से बाद सुन्नत रसूलपाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाह हुअक्बर

जुमे की दो रकात सुन्नत

नियत की मैंने दो रकअत नमाज़े बाद जुमा सुन्नत रसूलपाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाह हुअक्बर

जुमे की दो रकात नफिल

नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ नफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुमा का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर

जुम्मा में कुल 14 रकअत होती है.


नमाज़ में पढ़ी जाने वाली कुछ सूरतें

Surah kafirun – सुरह काफिरून

surah-kafirun


surah kafirun in Hindi

  1. कुल या अय्युहल काफिरून
  2. ला अ अबुदु मा तअ’बुदून
  3. वला अन्तुम आ बिदूना मा अ’अबुद
  4. वला अना आबिदुम मा अबत तुम
  5. वला अन्तुम आबिदूना मा अअ’बुद
  6. लकुम दीनुकुम वलिय दीन

Surah Ikhlas – सूरए इख़्लास

surah-ikhlas
Namaz ka Tarika

Surah Ikhlas in Hindi

  1. कुल हुवल्लाहु अहद
  2. अल्लाहुस्समद
  3. लम यलिद वलम यूलद
  4. वलम यकूल लहू कुफुवन अहद

Surah Falaq – सूरह फ़लक़

surah-falaq
Namaz ka Tarika

Surah Falaq in Hindi

  1. कुल आ ऊजू बिरब्बिल फलक
  2. मिन शर्री मा खलक़
  3. वा मिन शर्री गासिकिन इजा वकब
  4. वा मिन शर्रीन नाफ्फासाती फिल उकद
  5. वा मिन शर्री हसिदिन इज़ा हसद

Surah Naas – सूरह नास

surah-naas


Surah Naas in Hindi

  • कुल आउज़ू बी रब्बिन्नास
  • मलिकिन- नास
  • इलाहिन- नास
  • मिन शर्रिल वास्वसिल खन्नास
  • अल- लजी युवास्विसू फी सुदुरिन्नास
  • मीनल जिन्नती वन्नास

Surah Fatiha – सूरह फ़ातिहा

surah-fatiha
Namaz ka Tarika

Surah Fatiha in Hindi

  1. अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन
  2. अर रहमा निर रहीम
  3. मालिकि यौमिद्दीन
  4. इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन
  5. इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम
  6. सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम
  7. गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन (अमीन)

नमाज़ की शर्ते

नमाज़ की कुछ शर्ते हैं। जिनका पूरा किये बिना नमाज़ नहीं हो सकती या सही नहीं मानी जा सकती। कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए होना ज़रूरी है, तो कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए पूरा किया जाना ज़रूरी है। तो कुछ शर्तो का नमाज़ पढ़ते वक्त होना ज़रूरी है, नमाज़ की कुल शर्ते कुछ इस तरह से है।

  • बदन का पाक होना
  • कपड़ो का पाक होना
  • नमाज़ पढने की जगह का पाक होना
  • बदन के सतर का छुपा हुआ होना
  • नमाज़ का वक्त होना
  • किबले की तरफ मुह होना
  • नमाज़ की नियत यानि इरादा करना

ख़याल रहे की पाक होना और साफ होना दोनों अलग अलग चीज़े है। पाक होना शर्त है, साफ होना शर्त नहीं है। जैसे बदन, कपडा या जमीन नापाक चीजों से भरी हुवी ना हो. धुल मिट्टी की वजह से कहा जा सकता है की साफ़ नहीं है, लेकिन पाक तो बहरहाल है।

1. बदन का पाक होना

नमाज़ पढने के लिए बदन पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। बदन पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. बदन पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो वजू या गुस्ल कर के नमाज़ पढनी चाहिए।

2. कपड़ो का पाक होना

नमाज़ पढने के लिए बदन पर पहना हुआ कपडा पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। कपडे पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. कपडे पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो कपडा धो लेना चाहिए या दूसरा कपडा पहन कर नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए।

3. नमाज़ पढने की जगह का पाक होना

नमाज़ पढने के लिए जिस जगह पर नमाज पढ़ी जा रही हो वो जगह पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। जगह पर अगर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो जगहधो लेनी चाहिए या दूसरी जगह नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए।

4. बदन के सतर का छुपा हुआ होना

नाफ़ के निचे से लेकर घुटनों तक के हिस्से को मर्द का सतर कहा जाता है। नमाज़ में मर्द का यह हिस्सा अगर दिख जाये तो नमाज़ सही नहीं मानी जा सकती.

5. नमाज़ का वक्त होना

कोई भी नमाज़ पढने के लिए नमाज़ का वक़्त होना ज़रूरी है. वक्त से पहले कोई भी नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती और वक़्त के बाद पढ़ी गयी नमाज़ कज़ा नमाज़ मानी जाएगी।

6. किबले की तरफ मुह होना

नमाज़ क़िबला रुख होकर पढ़नी चाहिए। मस्जिद में तो इस बारे में फिकर करने की कोई बात नहीं होती, लेकिन अगर कहीं अकेले नमाज़ पढ़ रहे हो तो क़िबले की तरफ मुह करना याद रखे

7. नमाज़ की नियत यानि इरादा करना

नमाज पढ़ते वक़्त नमाज़ पढ़ें का इरादा करना चाहिए।

Wazu ka Tarika | वजू का तरीका


Wazu ka Tarika | वजू का तरीका

नमाज़ के लिए वजू शर्त है। वजू के बिना आप नमाज़ नहीं पढ़ सकते। अगर पढेंगे तो वो सही नहीं मानी जाएगी। वजू का तरीका यह है की आप नमाज़ की लिए वजू का इरादा करे। और वजू शुरू करने से पहले बिस्मिल्लाह कहें. और इस तरह से वजू करे।

  1. कलाहियों तक हाथ धोंये
  2. कुल्ली करे
  3. नाक में पानी चढ़ाये
  4. चेहरा धोंये
  5. दाढ़ी में खिलाल करें
  6. दोनों हाथ कुहनियों तक धोंये
  7. एक बार सर का और कानों का मसाह करें
    (मसह का तरीका यह है की आप अपने हाथों को गिला कर के एक बार सर और दोनों कानों पर फेर लें। कानों को अंदर बाहर से अच्छी तरह साफ़ करे।)
  8. दोनों पांव टखनों तक धोंये।

यह वजू का तरीका है। इस तरीके से वजू करते वक्त हर हिस्सा कम से कम एक बार या ज़्यादा से ज़्यादा तीन बार धोया जा सकता है। लेकिन मसाह सिर्फ एक ही बार करना है। इस से ज़्यादा बार किसी अज़ाको धोने की इजाज़त नहीं है, क्योंकि वह पानी की बर्बादी मानी जाएगी और पानी की बर्बादी करने से अल्लाह के रसूल ने मना किया है।

वज़ू में धोने का मतलब क्या है 

धोने का मतलब ये है के जिस जगह को धोए उस के हर हिस्सा पर पानी बह जाए.

Wazu ki Dua

वज़ू करने के बाद आप ये दुआ पढ़े

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Ghusl ki Dua | गुस्ल का तरीका क्या है

“ऐ ईमान वालो नशे की हालत में नमाज़ के करीब न जाओ यहाँ तक की समझने लगो जो कहते हो और न जनाबत की हालत में जब तक ग़ुस्ल न कर लो मगर सफर की हालत में कि वहाँ पानी न मिले तो ग़ुस्ल की जगह तयम्मुम है|”
( कुरान मज़ीद )

अगर आपने अपने बीवी से सोहबत की है, या फिर रात में आपको अहेतलाम हुआ है, या आपने लम्बे अरसे से नहाया नहीं है तो आप को गुस्ल करना ज़रूरी है। ऐसी हालत में गुस्ल के बिना वजू नहीं किया सकता. गुस्ल का तरीका कुछ इस तरह है।

  1. दोनों हाथ कलाहियो तक धो लीजिये
  2. शर्मगाह पर पानी डाल कर धो लीजिये
  3. ठीक उसी तरह सारी चीज़ें कीजिये जैसे वजू में करते हैं
  4. कुल्ली कीजिये
  5. नाक में पानी डालिए
  6. और पुरे बदन पर सीधे और उलटे जानिब पानी डालिए
  7. सर धो लीजिये
  8. हाथ पांव धो लीजिये।

यह गुस्ल का तरीका है। याद रहे ठीक वजू की तरह गुस्ल में भी बदन के किसी भी हिस्से को ज़्यादा से ज़्यादा 3 ही बार धोया जा सकता है। क्योंकि पानी का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल इस्लाम में गैर पसंदीदा अमल माना गया है।

Ghusl ki Dua

ghusl ki dua
Ghusl ki Dua

Ghusl ki Dua Transliteration

Allahummaj-alni minat-taw-waabeena waja-alni minal muta tah-hireen.

ग़ुस्ल के 3 फ़र्ज़ है

  • कुल्ली इस तरह करना की होंट से हलक़ तक दांतो की सारी जड़ में पानी पहुंच जाए
  • नाक की नर्म हड्डी तक पानी चढ़ाना
  • सर से लेकर पैर तक ऐसा पानी बहाना कि 1 बाल बराबर जगह भी सुखी न रहे,इन तीनो में से कुछ भी छूटा तो हरगिज़ ग़ुस्ल नहीं होगा और जब गुस्ल नहीं हुआ तो वुज़ु नहीं होगा और जब वुज़ु नहीं होगा तो नमाज़ कहां से होगी.

क्या गुस्ल के बाद वुजू की ज़रुरत है?

अगर आपने ऊपर बता गए सुन्नत तरीके के मुताबिक़ पहले वुजू किया फिर गुस्ल किया या अगर वुजू नहीं किया सिर्फ गुस्ल ही किया तो अब बाद में वुजू की ज़रुरत नहीं है इसलिए कि जिस्म के तमाम हिस्से को पाकी हासिल हो गयी|

गुस्ल खाने में पेशाब करना कैसा है?

गुस्ल खाना अगर कच्चा है और उस में पानी जमा हो जाता है तो वहां पेशाब मकरूह तहरीमी ( हराम के क़रीब ) है और हदीस मुबारक में है कि अगर कोई गुस्ल खाने में पेशाब करता है तो उसे भूलने और वस्वसों का मर्ज़ हो सकता है इसलिए इससे बचना चाहिए|

नंगे गुस्ल करना कैसा है?

अगर ऐसी जगह गुस्ल कर रहे हैं जहाँ किसी की नज़र नहीं पड़ती है तो नंगे गुस्ल करना दुरुस्त है लेकिन फिर भी बेहतर यही है कि तहबन्द वगैरा बाँध कर ही गुस्ल करे|


नियत का तरीका

नमाज़ की नियत का तरीका यह है की बस दिल में नमाज़ पढने का इरादा करे। आपका इरादा ही नमाज़ की नियत है। इस इरादे को खास किसी अल्फाज़ से बयान करना, जबान से पढना ज़रूरी नहीं।

अज़ान का तरीका

अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर
अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर

अशहदु अल्लाह इलाहा इल्लला
अशहदु अल्लाह इलाहा इल्लला

अशहदु अन्न मुहम्मदुर्रसुल अल्लाह
अशहदु अन्न मुहम्मदुर्रसुल अल्लाह

हैंय्या अलस सल्लाह
हैंय्या अलस सल्लाह

हैंय्या अलल फलाह
हैंय्या अलल फलाह

अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर
ला इलाहा इल्ललाह

यह है वो अज़ान जो हम दिन में से पांच मर्तबा हर रोज सुनते है। जब हम यह अज़ान सुनते हैं, तब इसका जवाब देना हमपर लाजिम आता है और यह जवाब कैसे दिया जाए? बस वही बात दोहराई जाये जो अज़ान देने वाला कह रहा है। वो कहें अल्लाहु अकबर तो आप भी कहो अल्लाहु अकबर…. इसी तरह से पूरी अज़ान का जवाब दिया जाए तो बस ‘हैंय्या अलस सल्लाह’ और ‘हैंय्या अलल फलाह’ के जवाब में आप कहें दो ‘ला हौला वाला कुव्वता इल्ला बिल्लाह

अज़ान के बाद की दुआ

Azan ke baad ki dua सिखने के लिए निचे दिया गया है.

अज़ान के बाद की दुआ


“अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़ीहिल दावती-त-ताम्मति वस्सलातिल कायिमति आती मुहम्मद नील वसिलता वल फ़ज़ीलता अब’असहू मक़ामम महमूद निल्ल्जी अ’अत्तहू”

अज़ान की दुआ का तर्जुमा

ऐ अल्लाह! ऐ इस पूरी दावत और खड़े होने वाली नमाज़ के रब! मुहम्मद (स.) को ख़ास नजदीकी और ख़ास फजीलत दे और उन्हें उस मकामे महमूद पर पहुंचा दे जिसका तूने उनसे वादा किया है. यकीनन तू वादा खिलाफी नहीं करता.

Namaz ka Tarika Hindi Mp3 Download

बच्चों को नमाज़ किस उम्र में सिखाई जाए

बच्चा जब 7 साल का हो जाए तो उसे नमाज़ पढ़ने का तरीका बताया जाए और जब दस साल का हो जाए नमाज़ पढ़ाया जाए और ना पढ़े तो मार कर पढ़वाए जाए.







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