लड़कियों की नमाज़ का तरीका हिंदी में Ladkiyon ki namaj ka Tarika Hindi mein 

लड़कियों की नमाज का तरीका हिंदी में Ladkiyon ki namaj ka Tarika Hindi mein 


अस्सलाम वालेकुम दुनिया में हर मुसलमान पर कुरान में नमाज़  फ़र्ज़ की गयी है ,नमाज़ को जो भी मुसलमान नहीं पढता है वो अल्लाह की नजर में सबसे निचे है। इसलिए सभी को 5 वक़्त की नमाज़ अदा करनी चाहिए। लेकिन बहुत से लोगों को नमाज़ पढ़ने का तरीका नहीं पता इस पोस्ट में आपको नमाज़ का तरीका बताऊंगा वो भी हिंदी में।


हम सुन्नतों के मुताबिक
लड़कियों की नमाज़ का तरीका हिंदी में Ladkiyon ki namaj ka Tarika Hindi meinमैं

Auraton Ki  Nawaz Ka Sahi Tarika

                  औरतों की नमाज़ 

हम सुन्नतों के मुताबिक नमाज़ का तरीका बनाया करेंगे और यहां पर सिर्फ उन चीजों को बताना है जिन मर्द और औरत की नमाज़ का फ़र्क़ है।

तकबीर तसलीमा के लिए हाथ उठाने                          का तरीका

नमाज़ तकबीर तहरीमा से शुरू होता है इस मैं हाथ उठाना सुन्नत है मर्द के लिए कानों कि लौ तक हाथ उठाना सुन्नत है औरतों के लिए सुन्नत ये है की सिर्फ कन्धों तक हाथ उठाये उसके बाद हाथ बांध लें और हाथ दुपट्टे के अंदर की उठाये।

          हाथ को बांधने की जगह

तकबीर तहरीमा के बाद हाथ बांधना सुन्नत है औरतें सीने पर हाथ बांधंगी इस तरह की दाहिने हाथ की हथेली को बाएं की हथेली कि    पुष्ट पर  रखिए।

       औरतों के रुकू का तरीका

मर्दों के रूपों का तरीका ये है कि वो इतना झुकें कि उनकी पीठ सर बराबर हो जाये और घुटनों को मज़बूती  से पकड़ ले।

लेकिन औरतें पूरे तौर पर ना झुके बल्कि ज़रा सा झुके घुटनों को ना पकडे़ बल्कि उन पर सिर्फ हाथ रखे यानी सिर्फ इतना जोकर की हाथ घुटनों तक पहुंच जाएं।


               सजदे का तरीका

औरतें खूब सिमट कर सजदा करें इस तौर पर कि उस के तमाम जिस्म के हिस्से मिले हुए हो हाथ बगलों से और रानें पेट मिली हुई हो और अपनी हाथों को ज़मीन पर बिछा दें अपने दोनों पैरों को दाहिनी निकाल दे।


                बैठने का तरीका

औरत नमाज़ में इस तरह बैठे की अपने दोनों पैर दाहिनी तरफ निकल और उस पर बैठ जाये और हाथ की उंगलियां मिलाये रखें।

  क्या औरत पर जुम्मा की नमाज़ फर्ज है

औरतों पर जुम्मा की नमाज़ फर्ज नहीं है वो जुमे के दिन घर में जोहर की नमाज अदा करें।


       क्या औरत पर ईद की नमाज़ है

औरत पर जुमे की नमाज़ भी नहीं क्यूकिं ईद की नमाज़ जमात के साथ अदा होती है और औरत ओ जमात में हाजि़र होने से किया गया है।












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