गौस पाक को अकीदत का नजराना, शहर को अमन का पैगाम
बरेली। खुदा के फज़्ल से हम पर है साया गौसे आजम का, हमें दोनों जहां में है सहारा गौसे आजम का। जनाबे शेख दूल्हा और बाराती औलिया होंगे, मजा दिखलाएगा महशर में सेहरा गौसे आजम का।
गौसे पाक के हजारों दीवाने इसी जज्बे और यकीन के साथ शुक्रवार को शहर की सड़कों पर निकले। बदन पर इस्लामी लिबास, सिर पर शानदार टोपी-पगड़ियां, हाथों में इस्लामी झंडा और लब पर बड़े पीर का नाम। ये कतारें दूर तक दिखाई दे रही थीं और इन्हीं कतारों में तमाम इस्लामी झांकियां भी शामिल थीं।
गौसे पाक के हजारों दीवाने इसी जज्बे और यकीन के साथ शुक्रवार को शहर की सड़कों पर निकले। बदन पर इस्लामी लिबास, सिर पर शानदार टोपी-पगड़ियां, हाथों में इस्लामी झंडा और लब पर बड़े पीर का नाम। ये कतारें दूर तक दिखाई दे रही थीं और इन्हीं कतारों में तमाम इस्लामी झांकियां भी शामिल थीं।
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यह नजारा था पुराने शहर में निकले
जुलूस-ए-गौसिया का, जो शुक्रवार को बड़े पीर हजरत शेख अब्दुल कादिर जिलानी बगदादी की याद में निकाला गया। तहफ्फुजे तहरीके सुन्नियत (टीटीएस) से संबद्ध अंजुमन गौसो रजा की ओर से निकला यह जुलूस सैलानी के रजा चौक से शुरू हुआ। आला हजरत दरगाह के नायब सज्जादा मौलाना अहसन मियां ने हाफिज सैय्यद हुमायूं अली को परचम सौंपकर जुलूस रवाना किया। रजा चौक से शुरुआत के बाद जुलूस पुराने शहर के कदीमी रास्तों से होता हुआ शाहदाना पहुंचा। यहां दरगाह शरीफ पर हाजिरी के बाद आजाद मार्केट होता हुआ वापस रजा चौक पहुंचकर संपन्न हो गया।
इस दौरान रास्तों में गौसे आजम जिंदाबाद, आला हजरत की नगरी जिंदाबाद, बरेली का अमन कायम रहे,
बरेली की एकता जिंदाबाद जैसे नारे गूंजते रहे। जुलूस की सरपरस्ती दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन अल्हाज मौलाना सुब्हान रजा खां (सुब्हानी मियां) और कयादत नायब सज्जादा मौलाना अहसन रजा खां कादरी ने की। इससे पहले नायब सज्जादा मौलाना अहसन मियां ने हाफिज सैय्यद हुमायूं अली को परचमें सौंप कर जुलूस को रवाना किया। इससे पहले जुलूस कमेटी के सदर हाजी शारिक नूरी ने कायदे जुलूस अहसन मियां की दस्तारबंदी की। इसके बाद दर्जा राज्य मंत्री आबिद खां के अलावा अजमल नूरी, नासिर कुरैशी, शाहिद नूरी, परवेज नूरी, मोहसिन रजा, अजहर बेग, कफील सकलैनी, यामीन राईन आदि की भी दस्तारबंदी की गई। मंच संचालन मुस्तफा नूरी व तारिक सईद ने किया। आभार हाजी शारिक नूरी ने व्यक्त किया।
आला हजरत दरगाह
की अपील का दिखा असर
बरेली। दरगाह आला हजरत से जारी की गई अपील का पूरा असर जुलूस-ए-गौसिया में दिखाई दिया। पिछले सालों के मुकाबले जुलूस इस साल काफी छोटा रहा। डीजे, तलवार, बल्लम, भाले जैसी चीजें भी जुलूस में नहीं दिखाई दीं, न शहर की अंजुमनें जुलूस में शमिल हुईं। जुलूस में जो अंजुमनें शामिल थीं, उन्होंने दरगाह आला हजरत की हिदायत का पूरी तरह पालन करते हुए सिर्फ अकीदत का ही ख्याल रखा। साथ ही एकता और सौहार्द का पैगाम भी देते चले। जुलूस में आला हजरत की नगरी जिंदाबाद, बरेली का अमन कायम रहे, बरेली की एकता जिंदाबाद जैसे नारे मिसाल बन गए। इसमें तब चार चांद और लग गए जब जुलूस का हर वर्ग और समुदाय के लोगों ने जगह-जगह स्वागत किया।
इस अपील का ही असर था
कि रिवायत के मुताबिक इस बार दरगाह आला हजरत पर चादर तो पेश की गई, मगर शाहदाना वली साहब से जुलूस वहां नहीं पहुंचा। अमन को कायम करने की पहल के तहत इस जुलूस को खत्म कर दिया गया। यही वजह रही कि नायब सज्जादा अहसन मियां ने दरगाह पर चादर चढ़ाई। साथ ही यह दुआ भी की कि शहर के अमनोअमान को कायम रखने के लिए हर शख्स अपनी ओर से पहल करे और जिम्मेदारी निभाने को भी आगे बढ़े।
गर्मजोशी से हुआ जुलूस का स्वागत
बरेली। जुलूस-ए-गौसिया का रास्ते भर स्वागत होता रहा। कहीं किसी ने पुष्प वर्षा की तो कहीं दस्तार बांदर और तोहफे दिए गए। हजरत शाहदाना वली साहब की दरगाह पर जुलूस का संदल और फूल बरसाकर स्वागत हुआ। सभी अंजुमनों की दस्तारबंदी कर उन्हें तोहफे भी दिए गए। यहां स्वागत करने वालों में दरगाह के मुतवल्ली अब्दुल वाजिद खां (बब्बू मियां) के साथ अजहर बेग, पम्मी खां वारसी, वसी अहमद वारसी, हाजी अबरार, आसिम खान, वसी खां, लाला घोसी, हनीफ मियां आदि शामिल थे। इसके अलावा जन मानव सेवा समिति के प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद कुमार सक्सेना, शारिक नूरी, साजिद हुसैन, सीताराम, शिवम जौहरी, दीपक राज आदि ने भी जुलूस का स्वागत किया।
घर-घर हुई नियाज, शहर भर में जलसे
बरेली। बड़ी पीर हजरत शेख अब्दुल कादिर जिलानी बगदादी की याद में पूरा शहर रंगा दिखाई दिया। लोगों ने घर-घर नियाज नजर की। शहर मेें जगह-जगह जलसे भी आयोजित किए गए।
हजरत शाह शराफत अली मियां की दरगाह पर 11वीं
शरीफ के मौके पर सज्जादानशीन पीरोमुर्शिद शाह मोहम्मद सकलैन मियां की सरपरस्ती में जलसा जश्ने गौसुल वरा का आगाज तिलावते कलाम पाक से हुुआ। मौलाना राशिद सकलैनी नईमी व मौलाना नीमउदीदन सकलैनी ने पीराने पीर गौसुल आजम दस्तगीर की शाने पाक और रूहानी हयाते पाक के बारे में लोगों को बताया। रागिब सकलैनी, मजहर सकलैनी, आलम सकलैानी ने नातो मनकबत का नजराना पेश किया। मुनतखब अहमद नूर ने गौसे पाक की शान में चंद अशार पेश किए। निजामत मुख्तार सकलैनी ने की। लंगर भी तकसीम किया गया।
दरगाह शाहदाना वली साहब की दरगाह पर जश्ने गौसुल
वरा के जलसे की सदारत करते हुए मौलाना रिजवान रजा खां तहसीनी ने गौसे आजम की जिंदगी पर रोशनी डाली। मो. फरहान मिर्जा और फैजान बेग ने नातो मनकबत का नजराना पेश किया। हाफिज कारी मकसूद रजा नूरी ने तिलावते कलाम से जलसे का आगाज किया और निजामत गुलाम सुब्हानी ने की। नाजिम बेग ने आभार जताया।
ये थीं जुलूस की खास अंजुमनें
बरेली। जुलूस-ए-गौसिया मेें करीब पांच दर्जन अंजुमनों ने भाग लिया। इसमें अंजुमन मुहिब्बाने पंजतने पाक, बज्में गौसे आजम, अंजुमन फैजाने रहमतुलिल आलमीन, गुलामाने रसूल, गौसे ख्वाजा रजा, बज्में गौसे आजम, फैजाने नूरी, लश्कर मौला अली, फैजाने आला हजरत, गुलजारे रशीदी आदि खास थीं।
ये थीं जुलूस की खास अंजुमनें
बरेली। जुलूस-ए-गौसिया मेें करीब पांच दर्जन अंजुमनों ने भाग लिया। इसमें अंजुमन मुहिब्बाने पंजतने पाक, बज्में गौसे आजम, अंजुमन फैजाने रहमतुलिल आलमीन, गुलामाने रसूल, गौसे ख्वाजा रजा, बज्में गौसे आजम, फैजाने नूरी, लश्कर मौला अली, फैजाने आला हजरत, गुलजारे रशीदी आदि खास थीं।
जुलूस के दौरान खुलवाए स्वास्थ्य केंद्र
बरेली। जुलूस-ए-गौसिया के दौरान रास्ते में पड़ने वाले दो स्वास्थ्य केंद्र तीसरे पहर बंद थे। लेकिन अकीदतमंदों की आकस्मिक सेवा के लिये सीएमओ डा. विजय यादव ने जगतपुर और पुराने शहर के स्वास्थ्य केंद्रों खुलवाया। दोनों ही स्थानों चिकित्सकों और मेडिकल स्टाफ को बुलवाया। खुद भी रात तक जगतपुर केंद्र पर मौजूद रहे।
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