Namaz ka Tarika in Hindi (2021) | नमाज़ पढ़ने का तरीका


Namaz ka Tarika in Hindi (2021) | नमाज़ पढ़ने का तरीका


नमाज़ का तरीका (Namaz Ka Tarika) हर मोमिन मर्द औरत पर सीखना फ़र्ज़ हैं और इस्लाम में पांच फर्ज़ो में से एक फ़र्ज़ नमाज़ हैं इस लिए नमाज़ का तरीका (Namaz Ka Tarika) सीखना जरुरी हैं।


हुजूर सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की नमाज़ (Namaz) मेरी आँखों की ठंडक है।



दुनिया में हर मुसलमान मर्द औरत पर कुरान में नमाज़ फ़र्ज़ की गयी है, नमाज़ को जो भी मुसलमान नहीं पढता है वो अल्लाह की नजर में सबसे निचे है। इसलिए सभी को 5 वक़्त की नमाज़ अदा करनी चाहिए। लेकिन बहुत से लोगों को नमाज़ पढ़ने का तरीका नहीं पता है इस पोस्ट में आपको नमाज़ का तरीका बताऊंगा वो भी हिंदी में।

नमाज़ क्या है (what is Namaz)


नमाज़ शब्द “सलात” (Salah) का उर्दू प्रयाय है और “सलात” अरबी शब्द है कुरान शरीफ में बार बार इस शब्द का इस्तेमाल हुआ है। नमाज़ हर वो आदमी जिसने कलमा पढ़ा है और उसकी उम्र 7 साल से ज्यादा है उसपर पर फ़र्ज़ है। अगर कोई भी मुसलमान नमाज़ को दुनिया के कामों के लिए छोड़ता है तो वो अल्लाह की नजर में गुनेहगार है।





Namaz Time


Namaz time




सभी मुसलमान मर्द औरत पर 5 वक़्त (टाइम) की नमाज़ फ़र्ज़ की गयी है जो की इस प्रकार है ।



  • फज़र (Fajr) :- यह नमाज़ सुबह (Morning) सूरज निकलने से पहले पढ़ी जाती है।
  • दुहर (Duhur) :- यह दोपहर (Afternoon) को अदा की जाती है।
  • असर (Asr) :- यह दोपहर (Afternoon) के बाद पढ़ी जाती है।
  • मगरिब (Maghrib) :- यह शाम (Evening) को सूरज के डूबने के वक़्त पढ़ी जाती है
  • ईशा (Isha) :- यह देर रात्रि (Night) को सोने से पहले पढ़ी जाती है।

इन 5 नमाज़ो के लिए हर देश में अपने अपने Time Zone में Namaz Time निर्धारित किये गए है।



Namaz ka Tarike नमाज़ का तरीका



Namaz ka Tarika बहुत आसान है। नमाज़ या तो 2 रक’आत की होती है, या 3, या 4 रक’आत की। एक रक’आत में एक क़याम, एक रुकू और दो सजदे होते है। नमाज़ का तरीका कुछ इस तरह है –

  1. नमाज़ के लिए क़िबला रुख होकर नमाज़ के इरादे के साथ अल्लाहु अकबर कह कर (तकबीर ) हाथ बांध लीजिए।
  2. हाथ बाँधने के बाद सना पढ़िए। आपको जो भी सना आता हो वो सना आप पढ़ सकते है।

सना के मशहूर अल्फाज़ इस तरह है “सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका”

  1. इसके बाद त’अव्वुज पढ़े। त’अव्वुज के अल्फाज़ यह है “अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम।”
  2. इसके बाद सुरे फातिहा पढ़े।
  3. सुरे फ़ातिहा के बाद कोई एक सूरा और पढ़े।
  4. इसके बाद अल्लाहु अकबर (तकबीर) कह कर रुकू में जायें।
  5. रुकू में जाने के बाद अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है, “सुबहान रब्बी अल अज़ीम”
  6. इसके बाद ‘समीअल्लाहु लिमन हमीदा’ कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये।
  7. खड़े होने के बाद ‘रब्बना व लकल हम्द , हम्दन कसीरन मुबारकन फिही’ जरुर कहें।
  8. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए।
  9. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है “सुबहान रब्बी अल आला”
  10. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठकर बैठे।
  11. फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए।
  12. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। या फिर वही कहें जो आम तौर पर सभी कहते हें, ‘सुबहान रब्बी अल आला’
  13. तशहुद में बैठ कर सबसे पहले अत्तहिय्यात पढ़िए।
  14. इसके बाद दरूद पढ़े।
  15. इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े। मतलब कोई भी ऐसी दुआ जो कुर’आनी सुरों से हट कर हो। वो दुआ कुर’आन में से ना हो। साफ साफ अल्फाज़ में आपको अपने लिए जो चाहिए वो मांग लीजिये। दुआ के अल्फाज़ मगर अरबी ही होने चाहिए।
  16. इस तरह से दो रक’अत नमाज़ पढ़ कर आप सलाम फेर सकते हैं। ‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहकर आप सीधे और उलटे जानिब सलाम फेरें।


Nawaz ki Niyat ka Tarika



Namaz ka Tarika सीखना हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है.नमाज़ पढ़ने के लिए नियत सबसे अव्वल चीज है जो मुकम्मल होनी चाहिए। नमाज़ में सबसे पहले नियत की जाती है उसके बाद सना पढ़ी जाती है फिर सुर : फातिहा कोई आयत और फिर रुकू में चले जाते हैं। नियत बहुत ही आसान है क्योंकि यह सभी नमाज़ में एक जैसी होती है कुछ जयादा अंतर नहीं होता है।



Fajar ki Namaz ki Niyat

फज्र की दो रकअत सुन्नत

नियत की मैंने दो रकत नमाज़ फज्र की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

फज्र की दो रकअत फ़र्ज़

नियत की मैंने दो रकत नमाज़ फज्र की फज्र के अल्लाह तआला के वास्ते मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

फज़र में कुल 4 रकअत होती है.

Zohar ki Namaz ki Niyat

जोहर की चार रकात सुन्नत

नियत की मैंने चार रकत नमाज़ जुहर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

जोहर की चार रकात फर्ज

नियत की मैंने चार रकत नमाज़ जुहर की फज्र वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

जुहर की दो रकात सुन्नत

नियत की मैंने दो रकत नमाज़ जुहर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

जुहर की दो रकात नफिल

नियत की मैंने दो रकत नमाज़ जुहर की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर. 

जोहर में कुल 12 रकअत होती है.

Asar ki Namaz ki Niyat

असर की चार रकात सुन्नत

नियत की मैंने चार रकत नमाज़ असर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

असर की चार रकात फर्ज

नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ असर की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

असर में कुल 8 रकअत होती है.

Magrib ki Namaz ki Niyat

मगरिब की तीन रकात फर्ज

नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ मगरिब की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

मगरिब की दो रकअत सुन्नत

नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ मगरिब की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

मगरिब की दो रकात नफिल

नियत की मैंने दो रकत नमाज़ मगरिब की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर. 

मग़रिब में कुल 7 रकअत होती है.

Isha ki Namaz ki Niyat

ईशा की चार रकअत सुन्नत

नियत की मैंने चार रकत नमाज़ ईशा की सुन्नत रसूलपाक के फर्ज से पहले वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

ईशा की चार रकअत फर्ज

नियत की मैंने चार रकत नमाज़ ईशा की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

ईशा की दो रकअत सुन्नत

नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ ईशा की सुन्नत रसूलपाक के फर्ज के बाद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

ईशा की दो रकात नफिल

नियत की मैंने दो रकत नमाज़ ईशा की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर. 

वित्र की तीन रकअत वाजिब

नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ वित्र की वाजिब वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.

मस्जिद में दाखिल होने की दो रकात सुन्नत

नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ मस्जिद में दाखिल होने की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.


ईशा में कुल 17 रकअत होती है.




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