औरतों की नमाज़ पढ़ने का सही तरीक़ा हिंदी में सीखें।
मसअलह :-1 नमाज़ की निय्यत कर के अल्लाहु अकबर कहे और अल्लाहु अकबर कहते वक़्त अपने दोनों हाथ कंधे तक उठाए लेकिन हाथों को दुपट्टा से बाहर न निकाले फिर सीने पर हाथ बाँध ले और दाहने हाथ की हथेली को बाएं हाथ की हथेली की पुश्त यानि कलाई पर रखे और सना पढ़े...सुबहा न कल्लाहुम् मः व बिहमदि कः व तबा रकसमु कः व तआला जद्दु कः व ला इला हः गैरुक ?
سُبْحَانَكَ اللّٰهُمَّ وَبِحَمْدِكَ وَتَبَارَكَ اسْمُكَ وَتَعَالٰى جَدُّكَ وَلَااِلٰهَ غَيْرُكَ؟
फिर अऊज़ुबिल्लाह और बिस्मिल्लाह पढ़ कर सूरह फातिहा यानि अल्हमदुलिल्लाहि रब्बिल आ लमीन से ले कर वज़्ज़ालीन तक. उस के बाद आमीन कहे फिर बिस्मिल्लाह पढ़ कर कोई सूरह पढ़े- फिर अल्लाहु अकबर कह के रुकू में जाए और तीन या पाँच या सात मर्तबा सुबहा न रब्बियल अज़ीम (سُبْحَانَ رَبٌِيَ الْعَظِيْمْ) कहे- और रुकू में दोनों हाथ की उंगलियाँ मिला कर घुटनों पर रख दे और दोनों बाज़ू को पहलू यानि (बग़ल) से खूब मिलाए और दोनों पैर के टखने बिल्कुल मिला दे यानि दोनों पैर बिल्कुल सटा दे फिर समिअल्लाहु लिमन हमि दह (سَمِعَ اللٌٰهُ لِمَنْ حَمِدَهْ) कहती हुई सर को उठाए- जब खूब सीधी खड़ी हो जाए तो फिर अल्लाहु अकबर कहती हुई सजदे में जाए- ज़मीन पर पहले घुटने रखे- फिर कानों के बराबर ज़मीन पर हाथ रखे और उंगलियाँ आपस में खूब मिलाए फिर दोनों हाथ के बीच में माथा रखे और सजदे के वक़्त माथा और नाक दोनों ज़मीन पर रखदे और हाथ और पाओं की उंगलियाँ किब्ला यानि पच्छिम की तरफ रखे मगर पाओं खड़े न करे मर्द की तरह, बल्कि दोनों पैर दाहनी तरफ को निकाल दे और खूब सिमट कर और दब कर सजदा करे पेट दोनों रानों से और बाहें दोनों पहलू से मिला लेवे- और दोनों बांहे ज़मीन पर रख दे और सजदा में कम से कम तीन दफ़ा या ज़्यादा से ज़्यादा सात मर्तबा सुब्हा न रब्बियल अअला (سُبْحَانَ رَبٌِيَ الْاَعْلٰى) कहे एक रकात पूरी हो गई-
इन तस्वीर को देख कर खूब समझ लें ।
फिर अल्लाहु अकबर कहती हुई खड़ी हो जाए और ज़मीन पर हाथ टेक कर के न उठे फिर बिसमिल्लाह कह कर अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन से व लज़्ज़ाल्लीन यानि सूरह फातिहा पढ़ कर कोई और सूरह पढ़ के दूसरी रकात इसी तरह पूरी करे, जैसे पहली रकात बताई गई- जब दूसरी रकात में दूसरा सजदा कर चुके तो त्शहुद के लिए बाएं कमर पर बैठे और अपने दोनों पाओं दाहनी तरफ निकाल दे और दोनों हाथ अपनी रानों पर रखले और उंगलियाँ खूब मिला कर यानि खूब सटा कर रखे- फिर त्शहुद यानि अत्तहिय्यात पढ़े ....
अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्स ल वातु वत्ताय्यिबातु अस्सलामु अलै कः अय्युहं नबिय्यु व रह्मतुल्लाहि व ब रकातुह अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्ला हिस्सालिहीन
अश्हदु अल्ला इला हः इल्लल्लाह व अश्हदु अन् नः मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह
اَلتَّحِيَّاتُ لِلٌٰهِ وَالصَّلَوٰةُ وَالطَّيِّبَاتُ اَلسَّلَامُ عَلَيْكَ اَيُّهَاانَّبِيُّ وَرَحْمَةُاللّٰهِ وَبَرَكَاتُهٗ اَلسَّلَامُ عَلَيْنَا وَعَلٰى عِبَادِاللّٰهِ الصَّالِحِيْنْ
اَشْهَدُ اَن لَّااِلٰهَ اِلَّااللّٰهُ واَشْهَدُ اَنَّ مُحَمْدًا عَبْدُهٗ وَرَسُوْلُهٗ
और जब अश्हदु अल्ला इला ह पर पहुँचे तो बीच की ऊँगली और अंगूठे से गोल कर के शहादत की उँगली को उठाए और इल्लल्लाह कहते वक़्त झुका दे मगर अक़्द व हल्क़ा यानि (बीच की उँगली और अंगूठे से गोल कर के) हय्यत को आख़री नमाज़ तक बाक़ी रखे- और चार रकात पढ़ना होतो इस से ज़्यादा और कुछ न पढ़े बल्कि फ़ौरन उठ खड़ी हो और और दो रकातें और पढ़ ले और फ़र्ज़ नमाज़ में पिछली दो रकातों में सूरह फातिहा के साथ और कोई सूरह न मिलाए- जब चौथी रकात पर बैठे तो फिर अत्तहिय्यात पढ़ के यह दरूद शरीफ पढ़े ....
अल्लाहुम् मः सल्लि अला मुहम्मदिंव् वअला आलि मुहम्म्द कमा सल्लै तः अला इब्राही मः व अला आलि इब्राही मः इं न कः हमीदुम् मजीद
अल्लाहुम् मः बारिक अला मुहम्मदिंव् वअला आलि मुहम्मद कमा बारक तः अला इब्राही मः व अला आलि इब्राही मः इं न कः हमीदुम् मजीद ?
اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى مُحَمَّدٍ وَّعَلٰى اٰلِ مُحَمَّدْ كَمَاصَلَّيْتَ عَلٰى اِبْرَاهِيْمَ وَعَلٰى اٰلِ اِبْرَاهِيْمَ اِنَّكَ حَمِيْدٌ مَّجِيْدْ
اَللّٰهُمَّ بَارِكْ عَلٰى مُحَمَّدٍ وَّعَلٰى اٰلِ مُحَمَّدْ كَمَا بَارَكْتَ عَلٰى اِبْرَاهِيْمَ وَعَلٰى اٰلِ اِبْرَاهِيْمَ اِنَّكَ حَمِيْدٌ مَّجِيْدْ ؟
फिर दुआ ए मासूरह पढ़े ....
अल्लाहुम् म इन्नी ज़लम्तु नफ़्सी जुल्मन कसीरंव् वला यगफिरुज़् ज़ुनू ब: इल्ला अंत: फग फिरली मगफिरतम् मिन इंदि क: वर्हमनी इं नक्: अंतल गफूरुर रहीम
اَللّٰهُمَّ اِنِّيْ ظَلَمْتُ نَفْسِي ظُلْمًا كَثِيْرًا وَّلَايَغْفِرُ الذُّنُوْبَ اِلَّا اَنْتَ فَااغْفِرْلِيْ مَغْفِرَةً مِّنْ عِنْدِكَ وَارْحَمْنِيْ اِنَّكَ اَنْتَ الْغَفُوْرُ الرَّحِيْمْ
या कोई और दुआ पढ़े जो हदीस या कुर्आन मजीद में आई हो- फिर अपनी दाहनी तरफ सलाम फेरे और कहे अस्सलामु अलैकुम व रह्मतुल्लाह फिर यही कह कर बाएं तरफ सलाम फेरे और सलाम करते वक़्त फरिश्तों पर सलाम करने की निय्यत (इरादा) करे- यह नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा है-
लेकिन इनमें जो फ़राइज़ हैं उन में से अगर एक बात भी छूट जाएँ तो नमाज़ नहीं होगी चाहे जान कर छोड़े चाहे भूले से दोनों का एक ही हुक्म है
नमाज़ में 7 चीज़ें शर्त हैं और 6 चीज़ें नमाज़ में फ़र्ज़ हैं-
यानि वह काम जिन के बिना नमाज़ नहीं होती-
इन तस्वीरों को देख कर नमाज़ के फ़राइज़ और शराएत याद कर लें-
अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्स ल वातु वत्ताय्यिबातु अस्सलामु अलै कः अय्युहं नबिय्यु व रह्मतुल्लाहि व ब रकातुह अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्ला हिस्सालिहीन
अश्हदु अल्ला इला हः इल्लल्लाह व अश्हदु अन् नः मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह
اَلتَّحِيَّاتُ لِلٌٰهِ وَالصَّلَوٰةُ وَالطَّيِّبَاتُ اَلسَّلَامُ عَلَيْكَ اَيُّهَاانَّبِيُّ وَرَحْمَةُاللّٰهِ وَبَرَكَاتُهٗ اَلسَّلَامُ عَلَيْنَا وَعَلٰى عِبَادِاللّٰهِ الصَّالِحِيْنْ
اَشْهَدُ اَن لَّااِلٰهَ اِلَّااللّٰهُ واَشْهَدُ اَنَّ مُحَمْدًا عَبْدُهٗ وَرَسُوْلُهٗ
और जब अश्हदु अल्ला इला ह पर पहुँचे तो बीच की ऊँगली और अंगूठे से गोल कर के शहादत की उँगली को उठाए और इल्लल्लाह कहते वक़्त झुका दे मगर अक़्द व हल्क़ा यानि (बीच की उँगली और अंगूठे से गोल कर के) हय्यत को आख़री नमाज़ तक बाक़ी रखे- और चार रकात पढ़ना होतो इस से ज़्यादा और कुछ न पढ़े बल्कि फ़ौरन उठ खड़ी हो और और दो रकातें और पढ़ ले और फ़र्ज़ नमाज़ में पिछली दो रकातों में सूरह फातिहा के साथ और कोई सूरह न मिलाए- जब चौथी रकात पर बैठे तो फिर अत्तहिय्यात पढ़ के यह दरूद शरीफ पढ़े ....
अल्लाहुम् मः सल्लि अला मुहम्मदिंव् वअला आलि मुहम्म्द कमा सल्लै तः अला इब्राही मः व अला आलि इब्राही मः इं न कः हमीदुम् मजीद
अल्लाहुम् मः बारिक अला मुहम्मदिंव् वअला आलि मुहम्मद कमा बारक तः अला इब्राही मः व अला आलि इब्राही मः इं न कः हमीदुम् मजीद ?
اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى مُحَمَّدٍ وَّعَلٰى اٰلِ مُحَمَّدْ كَمَاصَلَّيْتَ عَلٰى اِبْرَاهِيْمَ وَعَلٰى اٰلِ اِبْرَاهِيْمَ اِنَّكَ حَمِيْدٌ مَّجِيْدْ
اَللّٰهُمَّ بَارِكْ عَلٰى مُحَمَّدٍ وَّعَلٰى اٰلِ مُحَمَّدْ كَمَا بَارَكْتَ عَلٰى اِبْرَاهِيْمَ وَعَلٰى اٰلِ اِبْرَاهِيْمَ اِنَّكَ حَمِيْدٌ مَّجِيْدْ ؟
फिर दुआ ए मासूरह पढ़े ....
अल्लाहुम् म इन्नी ज़लम्तु नफ़्सी जुल्मन कसीरंव् वला यगफिरुज़् ज़ुनू ब: इल्ला अंत: फग फिरली मगफिरतम् मिन इंदि क: वर्हमनी इं नक्: अंतल गफूरुर रहीम
اَللّٰهُمَّ اِنِّيْ ظَلَمْتُ نَفْسِي ظُلْمًا كَثِيْرًا وَّلَايَغْفِرُ الذُّنُوْبَ اِلَّا اَنْتَ فَااغْفِرْلِيْ مَغْفِرَةً مِّنْ عِنْدِكَ وَارْحَمْنِيْ اِنَّكَ اَنْتَ الْغَفُوْرُ الرَّحِيْمْ
या कोई और दुआ पढ़े जो हदीस या कुर्आन मजीद में आई हो- फिर अपनी दाहनी तरफ सलाम फेरे और कहे अस्सलामु अलैकुम व रह्मतुल्लाह फिर यही कह कर बाएं तरफ सलाम फेरे और सलाम करते वक़्त फरिश्तों पर सलाम करने की निय्यत (इरादा) करे- यह नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा है-
लेकिन इनमें जो फ़राइज़ हैं उन में से अगर एक बात भी छूट जाएँ तो नमाज़ नहीं होगी चाहे जान कर छोड़े चाहे भूले से दोनों का एक ही हुक्म है
नमाज़ में 7 चीज़ें शर्त हैं और 6 चीज़ें नमाज़ में फ़र्ज़ हैं-
यानि वह काम जिन के बिना नमाज़ नहीं होती-
इन तस्वीरों को देख कर नमाज़ के फ़राइज़ और शराएत याद कर लें-
और कुछ चीज़ें वाजिब हैं इस में से अगर कोई चीज़ क़सदं (जान) कर छोड़ दे तो नमाज़ निकम्मी और खराब हो जाती है और फिर से नमाज़ पढ़नी पड़ती है- अगर कोई फिर से न पढ़े तो खेर तब भी फ़र्ज़ अदा हो जाता है लेकिन बहुत गुनाह होता है- और अगर भूले से छूट जाए तो सजदा सह्व कर लेने से नमाज़ हो जाएगी-
सजदा सह्व करने का तरीक़ा यह है कि नमाज़ के आखरी रकात में अत्तहिय्यात पढ़ने के बाद दो दफा सजदा कर के बैठ जाए, और बैठ कर फिर अत्तहिय्यात दरूद शरीफ और दुआ ए मासूरह पढ़ कर दोनों तरफ सलाम फेरे और नमाज़ को पूरी करे-
नमाज़ में 14 चीज़ें वाजिब हैं,
इन तस्वीरों को देख कर याद करलें-
सजदा सह्व करने का तरीक़ा यह है कि नमाज़ के आखरी रकात में अत्तहिय्यात पढ़ने के बाद दो दफा सजदा कर के बैठ जाए, और बैठ कर फिर अत्तहिय्यात दरूद शरीफ और दुआ ए मासूरह पढ़ कर दोनों तरफ सलाम फेरे और नमाज़ को पूरी करे-
नमाज़ में 14 चीज़ें वाजिब हैं,
इन तस्वीरों को देख कर याद करलें-
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